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देवीदास-विलास
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चतेवर- चंचल, चतुर (शीलांग. ५) छट्टम- छठवाँ (पंच. १८॥३) चटा- चाँटने वाला (बुद्धि. ४९।२) छडैल- छोड़ दिए गए (बुद्धि. ४८।२) चतुरानन- ब्रह्मा (केवल. ११) छदमस्त- छद्मस्थ, सांसारिकता में पड़ा चर्मरत्न- चर्मरत्न (चक्र. २६।१)
हुआ (आदि. ५५) चाखा- चखा (राग. ४।१)
छन- क्षण (परमा. १५।१) चातुर- चतुर (पद. १०।३) छमा- क्षमा (बुद्धि. ९।२) चात्रक- चातक पक्षी (बुद्धि. ४४।२) छरै- बिखरे हुए; समर्पित (अजित. ११) चामी- चमड़ी (बुद्धि. ३८।२) छहआवासक-षट्आवश्यक(राग. १८।४) चिताभे- चिन्ताओं में (पंचवरन. ५११) छाइक- क्षायिकज्ञान (वीत. ९।१) चिकती- मूर्ति; चौकोर टुकड़ा (बुद्धि. छाछटि- छयासठ (जिनांत. ९।१)
३६।३) छाजत- शोभित (पंच. २।३) चित्रा- चित्रा नक्षत्र (पद्म. ४९) छाव- छवि (सप्त. ५।३) चिदानंद-आनन्दमय ब्रह्म (जोग. १४।३) छित- पृथिवी; शीघ्र (पंच. ९।२) चिद्रूप- चैतन्य स्वरूप (दसधा. ८।१) छिप्यौ-छिपा हुआ (संभव. ७) चित्र-चिण्ह (परमा.. ७।२)
छीद- संक्रामक बीमारी (बुद्धि. ४८।२) चीठौ- चाहा हुआ: पहचान लेना (पद. छुद्रम- कपट-जाल (राग. १०।८)
२१८) छूति- संक्रामक रोग, अपवित्र वस्तु का चीन- चिन्ह (कुंथ. १६)
स्पर्श (बुद्धि. ४८।२) चुकी- समाप्त (जिनवन्दना. २।२) छोइ- नष्ट (सप्त. ५।३) चुगल- चुगली (पंच. २३।३) छोभ- क्षोभ; दुख (विवेक. ३।२) चुत- च्युत (पद. ४।७)
ज्यान- ज्ञान (राग. १९।७). चुनि- चुनना (पंच. १९।४) ज्येस्ठा- एक नक्षत्र (संभव. ४८) चूड़ामणि-चूड़ामणिरत्न (चक्र. २६।२) ज्वालामालिनी- ज्वालामालिनी देवी चूली- चूल्हा (राग. ७।६)
(शीतल. ६३) चेरे- दास (पद. २९।१०) जग्यो- जागना (बुद्धि. २४।१) चैत– चैत्रमास (पार्श्व. ३७) जगमग्यो- जगमगाना (राग. २३।४) चैतन्य-चेतन आत्मा (पंच. ६।४) जच्छन- उपभोग करना (बुद्धि. ५।२) चोखें- खरे; अच्छे (पद. २११४) जटा-लम्बेबाल(साधुओंके)(जोग.७।२) चौंची- आखिरी छोर, बनावटीपन (जोग. जड़ाव- जटित (चतुर्विं. १३)
२४।१) जथारथ- यथार्थ (दरसन. १४।४) चौज- आश्चर्य (वीत. १९।३) जम्बू- जम्बू वृक्ष (विमल. ४९) छंडौं- छोड़ना (नमि. ३) जमाति- जमात; पंगत; टोली (विवेक. छकीय- षट्काय (बुद्धि. ५०।२)
२६।२)
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