SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 334
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देवीदास - विलास तजिकें अपराजित ही विमान, तसु गर्भ विषै जिन गुणप्रधान । फागुनसुदि तीज सुदिन सुकाल सुखसौं नवमास गये विशाल । । १४ । मगषिर सुदि चौदस दिन पवित्र, जन्मत सु रोहनी वर नक्षित्र । थिति वर्ष सहस चउ असिय सर्स, कुँवरावर सहस इक्कीस वर्ष ।। १५ ।। महाराज वर्ष व्यालिस हजार, कीनों सु तज लागी न वार । मगषिर सुदि दसमी सुटेक, कुँवरावर तप सम काल एक । । १६ ।। तरु आमु तलै निज जान हेत, दीक्षा सु सहस राजा समेत । चक्रीपुर पराजित सु जेह, गउ - दूध लियौं तिनके सु गेह । । १७ । । ।। छद्मस्त वरष षोड़स संयुक्त, मगसिर सुदि की दशमी जिनुक्त। अपराहितकाल सुनिरविरोध, उपज्यो तिनके केवल सुबोध । । १८ ।। जोजन गनि साढ़े तीन ठान, समवादिशरण शोभित निदान । कुँवरादिक गणधर कहे तीस, प्रतिगणधर सहस पचास दीस । । १९ । । अजया तहाँ साठ हजार ठीक, इक लाख तहाँ श्रावक सुठीक। मुनिसंत श्रावकनी निवास, सब तीन लाख गनती सु जास ।। २० ।। शत नौ हजार दो चतु असीय, केवली काल वरनो तपीय। दो सै घटि तीनहजार सोध, तिनके घटि अवधि प्रकाशबोध ।। २१ । । वैक्रियकऋद्विवारे उदार, ससतीन अधिक सु सहस चार । मनपर्यय ज्ञानधनी विलोय, अधिके पचपन सुहजार दोय ।। २२ ।। केवलज्ञानी अरु अवधिवन्त, गिनती सम एक लेखा सुसन्त । वादी पुनि सोलंह से ततक्ष, जक्षी हैं जया कुवेर जक्ष ।। २३ ।। समवादिशरण तिहिंकी सुवात, अनमित हम पर वरनी न जात । कुरुवंस विषै उपजै सु वीर, हनि कर्म शिखरसम्मेद कीर । । २४ । । सोरठा गये मुक्तिपुर वास, चैत्र अमावस के दिना । तिनकौं देवीदास, अल्पमती कहा गुण कहौं । । २५ ।। ॐ ह्रीं श्रीअरहनाथजिनप्रतिमाग्रे महार्घ्यंम् निर्वपामीति स्वाहा । गीतिका विधिपूर्व जे जिनबिम्ब पूर्जें द्रव्य अरु पुनि भावसें । अति पुण्य की तिनकें सु प्रापति, होय दीरघ आयुसों । । जाके सुफलकर पुत्र- धनधान्यादि देह - निरोगता । चक्रेस-खग- धरनेन्द्र-इन्द्र सु होहि निज सुखभोगता । । २६ ।। पुष्पांजलिं क्षिपामि ३०६ Jain Education International • For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003998
Book TitleDevidas Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavati Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1994
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy