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देवीदास-विलास (ग) प्रति परिचय
___ 'देवीदास-विलास' नामकी उक्त संग्रह-कृति वाराणसी के श्री गणेश वर्णी दिगम्बर जैन संस्थान में उपलब्ध है। उसकी मात्र एक ही प्रति उपलब्ध हो सकी है। उसकी कुल पत्र संख्या १५७ हैं, जिनमें से १५० पत्र तो पूर्णरूप से लिखे हुए हैं। इसके पश्चात् के ४ पत्र खाली है, उसके बाद एक पत्र लिखा हुआ है। फिर १ पत्र खाली है और उसके अगले पत्र में केवल ४ पंक्तियाँ लिखी हुई हैं। कृति में कवि की छोटी-बड़ी ३८ रचनाओं का संकलन है। प्रति का प्रारम्भ कृति की विषयवस्तु से हुआ है। पुनः तीन पत्र खाली है। तत्पश्चात मूल रचना का प्रारम्भ हुआ है, जो इस प्रकार है
ॐ नमः सिद्धेभ्यः। अथ परमानन्द-स्तोत्र भाषा लिख्यते।
और अन्त इस प्रकार होता हैबिना विद्या बिना ब्रम्हाना कोई भोगी रमनी बिना । छत तले किं जन्मा किर्ते बिना ।।
प्रति के पत्रों की लम्बाई ७.१' तथा चौड़ाई ५' है। प्रति के प्रारम्भिक १२ पत्रों तक प्रत्येक पृष्ठ में ९-९ पंक्तियाँ, पृ. २४ तक १०-१० पंक्तियाँ एवं २५वें पृष्ठ से ११-११ पंक्तियाँ लिखी हुई मिलती हैं। प्रति पंक्ति में वर्ण-संख्या २१ से २४ के मध्य है। यद्यपि इस प्रति की स्थिति अच्छी है किन्तु प्रारम्भ और अन्त के कुछ पत्र अत्यन्त जीर्ण हो गए हैं। ग्रन्थ का मूल विषय काली स्याही में लिखा गया है, किन्तु पत्र की संख्या, विषय का प्रारम्भ एवं अन्त तथा पूर्ण विराम लाल-स्याही में अंकित है। पत्र के बाएँ किनारे पर १" जगह छोड़ी गई और दाएँ किनारे पर १/२', ऊपर और नीचे क्रमशः १-१/२' एवं १/२' इंच जगह छोड़ी गई है। (घ) प्रति की विशेषताएँ
(१) इस ग्रन्थ में सर्वत्र ख के स्थान पर ष का प्रयोग किया गया है। (२) नकार के स्थान पर नकार और णकार दोनों के प्रयोग मिलते हैं। (३) भूल से छूटे हुए पदों अथवा वर्गों को हंसपद देकर उन्हें हाँसिये में लिखा
गया है तथा वहाँ सन्दर्भ-सूचक पंक्ति-संख्या अंकित कर दी गई है। यदि छूटा हुआ वह अंश ऊपर की ओर का है, तो वह ऊपरी हाँसिये में और यदि नीचे की ओर का है, तो वह नीचे की ओर, और वहीं पर पंक्ति संख्या भी दे दी गई है।
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