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________________ प्रस्तावना सोई परम ब्रह्म परधान सोई शिवरूपी भगवान। परमानंद., १/१/१७ वसुगुन सहित सिद्ध सुख धाम निरविकार निरंजन राम।। परमानंद., १/१/२० स्वयंसिद्ध जगदीश नमौ त्रिभुवनपति नाइक।। पंचपद., २/७/१ उनका कथन है कि- परमात्मा को किसी भी नाम से अभिहित किया जा सकता है। किन्तु उसे परम-आत्मा होना चाहिए। (३) परमात्मा की भक्ति इस अमूर्त, अलक्ष परमात्मा की भक्ति सरल नहीं है। देह-देवालय में बसने वाले ब्रह्म से प्रेम करना एवं उसका ध्यान करना दुष्कर कार्य है। मन को वश में करके जैन-भक्तों एवं कबीर ने ब्रह्म का ध्यान किया। उन्होंने लौकिक एवं अलौकिक सुख की कामना किए बिना निष्पृह भाव से मन को ब्रह्म में समर्पित कर दिया। कबीर ने मन को ब्रह्म में समर्पित करने की भावना को निम्न रूप में व्यक्त किया है इस मन को विसमिल करौं, दीठा करौं अदीठ। जौ सिर राखोंआपणाँ तौ पर सिरिज अंगीठ। कबीर साखी सुधा. मन को अंग ६ उन्होंने बिना शर्त मन को निरंजन में लगा दिया- “मन दीया मन पाइयै" में मन के उन्मुख होने की बात बिना किसी शर्त के है। कबीर जैसा बिना शर्त आत्मसमर्पण का भाव हिन्दी-साहित्य में अन्यत्र मिलना कठिन है। . कवि देवीदास ने भी बिना शर्त उस निरंजन से मन लगाने की बात कही है। क्योंकि उन्होंने जिस जिनेन्द्रदेव की भक्ति की है वह न तो विश्व का नियन्ता है और न ही कर्तृत्व-शक्ति युक्त। जिनेन्द्र देव में केवल प्रेरणा देने वाला कर्तृत्व है। जिन-भक्त इस तथ्य को भली-भाँति जानता है और प्रेरणा देने वाले प्रभु के ध्यान में अपने मन को बिना शर्त के ही केन्द्रित करता है। उसकी भक्ति निष्काम होती है। देवीदास कहते हैं कि- "हे जीव, तू अन्य सभी भावों को त्याग कर अपनी आत्मा की ही भावना कर। वह आत्मा, जो आठ कर्मों से रहित और दर्शन, ज्ञान, चारित्र से युक्त है। उसी का ध्यान करने से परमात्म-तत्व की प्राप्ति सम्भव है। इसलिए बाह्य-क्रियाओं की ओर से विमुख होकर अन्तर की आराधना कर। यथा "आतम तत्व विचारौ सुधी तुम आतम तत्व विचारौ। वीतराग परिनामनि कौं करि विकलपता सब डारौ।। पद. ४/ख/१० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003998
Book TitleDevidas Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavati Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1994
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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