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प्रस्तावना
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(९) अन्तीपर
कवि ने अन्तर्दीप की चर्चा करते हुए बतलाया है कि अन्तर्दीप की स्थिति उपसमुद्र के बीच में होती है। उनके इस कथन से ज्ञात होता है कि समुद्र के बीच जो टापू बन जाते हैं. उसे ही उन्होंने अन्तर्दीप कहा है, जिसे वर्तमान में अन्तर्दीप या अन्तरीप भी कहा जाता है। इनकी संख्या उन्होंने ५६ बतलाई है, जो चक्रवर्ती के अधिकार में रहते थे। (१०) दुर्गाटवी
कवि ने दुर्गाटवी के सम्बन्ध में बतलाया है कि पर्वतों पर स्थित गाँवों को दुर्गाटवी कहते हैं। इन दुर्गाटवियों की कुल संख्या २८ हजार थी, जो चक्रवर्ती के अधिकार में रहते थे।
९. राजनैतिक सन्दर्भ कवि देवीदास ने अपने साहित्य में प्रसंगवश निम्नलिखित तथा चक्रवर्ती के अधीनस्थ आठ प्रकार के राजाओं की चर्चा की है, जिसमें उनकी विशेषताओं को लक्षित करते हुए, उनके अधिकार-क्षेत्र का उल्लेख किया है। यथा(१) राजा
एक करोड़ गाँव के अधिपति को राजा कहते हैं। वह मुकुट को धारण करने वाला एवं सेवकों को इच्छित पदार्थ प्रदान करने वाला होता है। उसके अधिकारक्षेत्र को राज्य एवं मुख्यालय को राजधानी कहते हैं। तिलोयपण्णत्ति में भी राजा की यही परिभाषा दी गई है। (२) अधिराजा ___कीर्ति से व्याप्त दिशाओं वाले और पाँच सौ राजाओं के स्वामी को अधिराजा कहते है। तिल्लोयपण्णति में भी इसी विशेषता-सम्पन्न राजा को अधिराजा कहा गया है।
१. चक्रवत्ती. ३/४/६; २. वही. ३/४/५; ३. वही. ३/४/४८; ४. तिलोय.
१/१/४-४२; . ५. चक्रवर्ती. ३/४/४९; ६. तिलोय. १/१/४५.
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