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देवीदास - विलास
(३) महाराजा
एक हजार राजाओं के स्वामी को महाराजा कहते हैं और उसके अधीनस्थ क्षेत्र को साम्राज्य कहते हैं ।
(४) अर्द्धमांडलिक
दो हजार मुकुटबद्ध राजाओं में प्रधान राजा अर्द्धमाण्डलिक कहलाता है । उसके अधीनस्थ क्षेत्र को अर्द्धमण्डल कहते हैं ।
(५) माण्डलिक
चार हजार राजाओं के स्वामी को माण्डलिक कहा जाता है। उसके अधीनस्थ क्षेत्र को मण्डल कहा जाता है। सभी राजा उसके चरणों की पूजा करते हैं । (६) महामाण्डलिक
आठ हजार राजाओं के स्वामी को महामाण्डलिक कहते हैं। उसके क्षेत्र को महामण्डल कहा जाता है ।
(७) अर्द्धचक्री
सोलह हजार राजाओं के अधिपति को अर्द्धचक्री कहा जाता है। सभी राजा उसको झुककर प्रणाम करते हैं। वह बड़ा पुण्यशाली माना जाता है'। उसके अधीनस्थ क्षेत्र को अर्धचक्री - साम्राज्य कहते हैं ।
(८) चक्रवर्त्ती
छह खण्ड रूप भरत क्षेत्र का स्वामी चक्रवर्ती कहलाता है । बत्तीस हजार मुकुटबद्ध राजा उसे नमस्कार करते हैं। उसके क्षेत्र को चक्रवर्ती क्षेत्र (साम्राज्य ) कहा जाता है'। देवीदास ने भी इसी रूप में इसका वर्णन किया है ।
१. चक्रवर्ती. ३/४/४९; २. वही. ३/४/५०; ३. तिलोय. १ / २ / ४६; ४ चक्रवर्ती. ३/४/५०; ५. वही. ३/४/५१; ६. वही. ३/४/५१; ७. वही. ३/४/५२; ८. तिलोय. १ / १४८; ९. चक्रवर्त्ती. ३/४/५२;
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