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________________ अध्यात्म-कमल-मार्तण्ड पृष्ठपर लिखते समय १७वे पत्रके द्वितीय पृष्टकी छाप लग जानेके कारण वह खाली छोड़ा गया है। पत्रकी लम्बाई ८३ और चौड़ाई ५३ इंच है। प्रत्येक पृष्ठपर प्रायः २० पंक्तियाँ है, परन्तु कुछ पृष्ठोंपर २१ तथा २२ पंक्तियाँ भी हैं। प्रत्येक पंक्तिमें अक्षर संख्या प्रायः १४ से १८ तक पाई जाती है, जिसका अौसत प्रति पंक्ति १६ अक्षरोंका लगानेसे ग्रन्थकी श्लोक-संख्या ५५० के करीब होती है। यह प्रति देशी रफ कागजपर लिखी हुई है और बहुत कुछ जीर्ण-शीर्ण है, सील तथा पानीके कुछ उपद्रवोंको भी सहे हुए है, जिससे कहीं कहीं स्याही फैल गई है तथा दूसरी तरफ फूट आई है और अनेक स्थानोंपर पत्रोंके परस्परमें चिपक जानेके कारण अक्षर अस्पष्टसे भी हो गये हैं। हालमें नई सूचीके वक्त जिल्द बँधालेने आदिके कारण इसकी कुछ रक्षा होगई है। इस ग्रंथप्रति पर यद्यपि लिपिकाल दिया हुआ नहीं है, परन्तु वह अनुमानतः दोसौ वर्षसे कमकी लिखी हुई मालूम नहीं होती। यह प्रति 'महम' नामके किसी ग्रामादिकमें लिखी गई है और इसे 'स्यामराम भोजग' ने लिखाया है; जैसा कि इसकी “महममध्ये लिषावितं स्यामरामभोजग ॥” इस अन्तिम पंक्तिसे प्रकट है। कविवरकी मौलिक कृतियोंके रूपमें जिन चार ग्रन्थोंका अभी तक परिचय दिया गया है वे सब संस्कृत भाषामें हैं; परन्तु यह ग्रंथ संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश और हिन्दी इन चार भाषाओंमें है, जिनमें भी प्राकृत और अपभ्रंश प्रधान हैं और उनमें छन्दशास्त्रके नियम, छन्दोंके लक्षण तथा उदाहरण दिये हैं; संस्कृतमें भी कुछ नियम, लक्षण तथा उदाहरण दिये गये हैं और ग्रन्थके प्रारम्भिक सात पद्य तथा समाप्ति-विषयक अन्तिम पद्य भी संस्कृत भाषामें हैं, शेष हिन्दीमें कुछ उदाहरण हैं और कुछ उदाहरण ऐसे भी हैं जो अपभ्रंश तथा हिन्दीके मिश्रितरूप जान पड़ते हैं। इस तरह इस ग्रन्थ परसे कविवरके संस्कृत भाषाके अतिरिक्त दूसरी भाषाओं में रचना के अच्छे नमूने भी सामने अाजाते हैं और उनसे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003836
Book TitleAdhyatma Kamal Marttand
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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