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अध्यात्म-कमल-मार्तण्ड
६५ पुद्गल-द्रव्यकी अशुद्ध पर्यायोंका प्रतिपादनशब्दो बन्धः सूक्ष्मस्थूलौ संस्थानभेदसन्तमसम् । छायातपप्रकाशाः पुद्गलवस्तुनोऽशुद्ध पर्यायाः॥२४॥
अर्थ-शब्द, बन्ध, सूक्ष्मता, स्थूलता, संस्थान (आकार), भेद, अन्धकार, छाया, आतप और प्रकाश ये सब पुद्गल द्रव्यकी अशुद्ध पर्याये हैं।
भावार्थ--भाषावर्गणासे निष्पन्न भाषा और अभाषारूप शब्द पुद्गल द्रव्यकी पर्याय हैं । एक पुद्गलका दूसरे पुद्गलके साथ अन्योन्यानुप्रवेशरूप बन्ध भी पुद्गलकी पर्याय है। सूक्ष्मता, स्थूलता-छोटापन और बड़ापन-ये भी पुद्गलकी पर्यायें हैं और ये दोनों अन्त्य (निरपेक्ष-स्वाभाविक ) तथा आपेक्षिक (परनिमित्तक) इन दो भेदरूप हैं। अन्त्य सूक्ष्मता परमाणुमें है । आपेक्षिक सूक्ष्मता बेल, आँवला, बेर आदिमें है । इसी प्रकार अन्त्य स्थूलता जगद्व्यापी महास्कन्धमें है और आपेक्षिकस्थूलता बेर, आँवला. बेल आदिमें है । संस्थान आकारको कहते हैं। वह दो प्रकारका है-(१) इत्थंभूतलक्षण और (२) अनित्थंभूतलक्षण । जिसका ऐसा है इस तरह का है' इस प्रकारसे निरूपण किया जा सके वह सब इत्थंभूतलक्षण संस्थान है। जैसे अमुक वस्तु गोल है, त्रिकोण है आदि । और जिसका उक्त
* 'वस्तोरशुद्ध' मुद्रितप्रती पाठः । + (क) 'शब्दबन्धसौम्यस्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छायाऽतपोद्योतवन्तश्च'
--तत्त्वार्थसूत्र ५-२४ (ख) 'सद्दो बंधो सुहुमो थूलो संठाण भेद तम छाया।
उजोदादवसहिया पुग्गलव्वस्स पजाया ||--- द्रव्यसं० १६
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