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________________ छे तिके । २५. फुन ते मिश्रपणेह, विनयवादी पिण जेह, २६. समुच्चय ज्ञानी यावत अनाणवादी समवसरण इण न्याय बे ॥ वलि, केवलज्ञानी जोय । अलेशी जेम कहीजिये, क्रियावादी इक होय || २७. समुच्चय अज्ञानी यावत वलि, विभंग अज्ञानी ताय । कृष्णपाक्षिक जिम जाणवो, धुर विण तीन कहाय ॥ २. आहारसंज्ञा उपयुक्त जे जाव परिग्रहसंज्ञा उपयुक्त । सशो जैम कहीजिये, समवसरण चिहूं उक्त ॥ २९. नोसोवडता छंतिके, अलेशी जेम कहाय । तीन नहि एक क्रियावादी हीज छे, शेष ३०. सवेदी जाव नपुंसका, सलेशी जिम अवेदी अवेशी नीं परं क्रियावादी इक ३१. सकषाई यावत वली, एक ॥। लोभकवाई सशी जिम चिह्नं जाणवं अकसाई अलेशी जिम ३२. सजोगी नैं यावत वली, कायजोगी चिहुं तेम | सलेशी जेम कहीजिये, अजोगी अजोगी अलेशी जेम ॥ ३३. सागरोत्ता नं बली, अनाकार उपयुक्त / कहवा सलेशी तणी पर, समवसरण चिह्न उक्त ॥ हिवे नारको आदि चउवीस दंडके जे बोल ने विषे समवसरण पार्व ते कहे २४ दंडकों में क्रियावादिता आदि ३४. नेरवा है भगवंतजी ! स्यूं क्रियावादी कहिवाय ? इत्यादिक पूछा किया, जिन कहै च्या पाय || पाय ॥ चिहुं पाय । ३५. सलेशी नारकि हे प्रभु ! क्रियावादी स्यूं तेह ? कहेह | इमहि समवसरण चिहूं, इम जाव कापोत लगेह || ३६. कृष्णपाक्षिक जे नारकी, क्रियावादी न समवसरण शेष त्रिण हुवे इम इण अनुक्रम ३७. जेहिज वक्तव्यता कही जीव नीं, करेह ॥ हिज नारकी नीं सहु जाण । यावत अनाकारवउत्ता लगे, णवरं विशेष पिछाण || ४१. क्रियावादी अपवादी चाय ॥ वेव । Jain Education International ३८. जे नारकि में बोल पावे अछे, तेहिज शेष बोल कहिवा नथी, नथी, बोल ३९. जेम का नारकी, इम यावत पृथ्वीकायिक हे प्रभु ! स्यूं क्रियावादी प्रश्न सार ॥ ४०. जिन कहै क्रियावादी नहीं, अक्रियावादी अनाणवादी पिण हवं, विनयवादी नहीं सोरठा नांय, पाय, बोल कहेह । न पावे जेह ॥ पणियकुमार तेह | जेह ॥ मिथ्यादृष्टिपणां थकी । अज्ञानवादी पिण हुवं ॥ २६. नाणी जाब केवलनाणी जहा अलेस्से । २७. अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया । २८. आहारसष्णोववत्ता जान परिग्गहसष्णोवउत्ता जहा सलेस्सा । २९. नोसण्णोवउत्ता जहा अलेस्सा । ३०. सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा । अवेदगा जहा अलेस्सा। ३१. सकसायी जाव लोभकसायी जहा अकसायी जहा अलेस्सा । ३२. सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा । अजोगी जहा अलेस्सा । ३३. सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा । (श. २०१६) सस्सा | ३४. नेरइया णं भंते ! कि किरियावादी–पुच्छा। गोयमा ! किरियावादी वि जाव वेणइयवादी वि । (श. ३०1७) ३५. सलेस्सा णं भंते ! नेरइया कि किरियावादी ? एवं चेव । एवं जाव काउलेस्सा | ३६. कपनिया किरियाविवजिया एवं एएवं कमेणं ३७. जच्चेव जीवाणं वत्तव्वया सच्चेव नेरइयाण वि जाव अणावारोवउत्ता, नवरें ३८. जं अत्थि तं भाणियव्वं, सेसं न भण्णति । ३९. जहा नेरइया एवं जाव थणियकुमारा । (श. ३०१८ ) पुढविकाइया णं भंते । कि किरियावादी–पुच्छा । ४०. गोयमा ! नो किरियावादी, अकिरियावादी वि अण्णाणियवादी ति नो वेणइयवादी । ४१. 'नो किरियाबाई' ति मिध्यादृष्टित्वापामा वादिनानिवादिनश्च ते भवन्ति (बृ. प. ९४४) श० ३०, उ० १, ढा० ४७५ ३०१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003623
Book TitleBhagavati Jod 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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