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वा०-सूक्ष्म पृथ्व्यादिक नां शरीर नां सूक्ष्मपणां थकी तेहनै पिण अपर्याप्तपण करी असंपूर्णपणां थकी तिहां पिण जघन्य नै वांछितपणां थकी सर्व आगल कहिस्य जे जोग तेह थकी थोड़ो, ते माटै सर्व थी थोड़ो जघन्य जोग हु ।
ते जघन्य जोग वलि विग्रह गति नै विषे कार्मण नैं औदारिक पुद्गल ग्रहण प्रथम समय वर्तता हुवै तिवार पछै वलि समय वृद्धि करिके मध्यम योग हुवे । ज्यां लगे सर्वोत्कृष्ट योग न हुवै त्यां लगै मध्यम जोग कहिये ।
वा.-तत्र 'सव्वत्थोवे' इत्यादि सूक्ष्मस्य पृथिव्यादेः सूक्ष्मत्वात् शरीरस्य तस्याप्यपर्याप्तकत्वेनासम्पूर्णत्वात् तत्रापि जघन्यस्य विवक्षितत्वात् सर्वेभ्यो वक्ष्यमाणेभ्यो योगेभ्यः सकाशात्स्तोक:-सर्वस्तोको भवति जघन्यो योगः, स पुनर्वग्रहिककार्मणऔदारिकपुद्गलग्रहणप्रथमसमयवर्ती, तदनन्तरं च समयवद्धयाऽजघन्योत्कृष्टो
यावत्सर्वोत्कृष्टो न भवति, (व. प. ८५३) २९. २. बादरस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्ज
गुणे
३०. ३. बेंदियस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्ज
गुणे ३१. ४. एवं तेइंदियस्स
३२. ५. एवं चउरिदियस्स
३३. ६. असण्णिस्स पंचिदियस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए
जोए असंखेज्जगुणे ३४. ७. सण्णिस्स पंचिदियस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए
जोए असंखेज्जगुणे ३५. ८. सुहुमस्स पज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्ज
गुणे ३६. ९. बादरस्स पज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्ज
२९. तेहथी बादर एकेंद्रिय तणों जी, अपजत्त नों जघन्य जोग ।
असंख्यातगुणो आखियो जी, बादरपणां थी प्रयोग ।। ३०. तेहथी बेइंद्रिय तणों जी, अपर्याप्ता नों जोय ।
जघन्य जोग छै जेहनों जी, ते असंख्यातगुणो होय ।। ३१. तेहथी तेइंद्रिय तणों जी, अपर्याप्ता नों पेख ।
जघन्य जोग छै जेहन जी, ते असंख्यातगुणो लेख ।। ३२. तेहथी चरिदिय तणों जी, अपर्याप्ता नों जेह ।
जघन्य जोग कहियै अछ जी, असंख्यातगुणो तेह ।। ३३. तेहथी असन्नी पंचिद्रिय तणों जी, अपर्याप्ता नों विचार ।
जघन्य जोग छ जेहनों जी, ते असंख्यातगुणो धार । ३४. तेहथी सन्नी पंचिंद्रिय तणों जी, अपर्याप्ता नों उवेख ।
जघन्य जोग छ जेहनों जी, ते असंख्यातगुणो देख ।। ३५. तेहथी सूक्ष्म एकेंद्रिय तणों जी, पर्याप्ता नों प्रमाण । ___ जघन्य जोग छै जेहनों जी, ते असंख्यातगुणो जाण ।। ३६. तेहथी बादर एकेंद्रिय तणों जी, पर्याप्ता नों प्रचार ।
जघन्य जोग छै जेहनों जी, ते असंख्यातगुणो धार ।। ३७. तेहथी सूक्ष्म एकेंद्रिय तणों जी, अपर्याप्ता नों आम ।
उत्कृष्ट जोग छै जेहनों जी, असंख्यातगुणो ताम ।। ३८. तेहथी बादर एकेंद्रिय तणों जी, अपर्याप्ता नों जोय ।
उत्कृष्ट जोग छ जेहनों जी, ते असंख्यातगुणो सोय ।। ३९. तेहथी सूक्ष्म एकेंद्रिय तणों जी, पर्याप्ता नों पेख ।
उत्कृष्ट जोग छै जेहनों जी, ते असंख्यातगुणो देख ।। ४०. तेहथी बादर एकेंद्रिय तणों जी, पर्याप्ता नों पाय ।
उत्कृष्ट जोग छै जेहनों जी, ते असंखगुणो अधिकाय ।। ४१. तेह थकी बेइंद्री तणों जी, पर्याप्ता नों ताय ।
___ जघन्य जोग छै जेहनों जी, ते असंखगूणो अधिकाय ।। ४२. तेहथी तेइंद्रिय तणों जी, पर्याप्ता नों विमास ।
जघन्य जोग छै जेहनों जी, ते असंख्यातगुणो तास ।। ४३. तेहथी चउरिन्दिय जीव नों जी, पर्याप्ता नो विचार ।
जघन्य जोग छै जेहनों जी, ते असंखगुणो अवधार ।। ४४. तेहथी असन्नी पंचिद्रिय तणों जी, पर्याप्ता नों कहाय ।
जघन्य जोग छै जेहनों जी, ते असंख्यातगुणो पाय ।। ४५. तेहथी सन्नी पंचिंद्रिय तणों जी, पर्याप्ता नों पेख ।
जघन्य जोग छै जेहनों जी, ते असंखगुणा सुविशेख ।।
३७. १०. सुहुमस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए ____ असंखेज्जगुणे ३८. ११. बादरस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए
असंखेज्जगणे ३९. १२. सुहुमस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेज्ज
गुणे
४०. १३. बाद रस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए
असंखेज्जगुणे ४१. १४. बेंदियस्स पज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्ज
गुणे
४२. १५. एवं तेंदियस्स,
४३-४५. एवं जाव १८. सणिपंचिदियस्स पज्जत्तगस्स
जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे
६ भगवती जोड़
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