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________________ गीतक छद १९. इक भव विषे परिहारविशुद्धज, वार त्रिण उत्कृष्ट ही। भव द्वितीय में बे वार फुन, भव तृतीय वारज बे लही ।। १९. एकत्र भवे वयं द्वितीये द्वयं तृतीये द्वयमित्यादिविकल्पतः सप्ताकर्षा: परिहारविशुद्धिकस्येति, (वृ. प. ९१६) २६. सुहमसंपरागस्स जहण्णेणं दोण्णि, उक्कोसेणं नव । २०. अथवा प्रथम भव वार दोयज, द्वितीय भव त्रिण वार ही । तृतीयेज भव में वार बे फुन, द्वितीय विकल्प ए लही ।। २१. अथवा प्रथम भव एक वारज, द्वितीय भव त्रिण वार ही। तृतीयेज भव में वार त्रिण फुन, तृतीय विकल्प ए लही।। २२.अथवा प्रथम भव तीन वारज, द्वितीय भव इक वार ही। फून तृतीय भव त्रिण वार आवै, तुर्य विकल्प ए लही।। २३. अथवा प्रथम भव दोय वारज, द्वितीय भव बे वार ही। फुन तृतीय भव त्रिण वार आवै, पंचमो विकल्प लही ।। २४. अथवा प्रथम भव तीन वारज, द्वितीय भव त्रिण वार ही। फुन तृतीय भव इक वार आवै, छठो विकल्प ए लही ।। परिहार विशुद्ध नां विकल्प -- ३२२, २३२, १३३, ३१३, २२३, ३३१ । २५. इम पवर विकल्प जेह बहुश्रुत कीजिये वर न्याव ही। बहु भव विषे परिहार इहविध, सप्त वारज भाव ही ।। २६. *सखर सूक्ष्मसंपराय जे गो० ! ___ बहु भव में अवधार हो स० ! जघन्य थकी बे वार ही गो० ! उत्कृष्टो नव वार स० ! सोरठा २७. वर सूक्ष्मसंपराय, इक भव आवै वार चिहुं । फुन त्रिण भव में पाय, पूर्वे आख्यो तेहथी ।। गोतकछंद २८. इक भव विषे चिहुं वार आवै, द्वितीय पिण चिहं वार ही। तृतीयज भवे इक वार आवै, इम को वृत्तिकार ही।। २९. *यथाख्यात संजत भलो गो० ! बहु भव में सुविचार हो स० ! जघन्य थकी बे वार ही गो० ! उत्कृष्टो पंच वार हो स० ! ___सोरठा ३०. यथाख्यात सुखदाय, इक भव आवै वार बे। फुन त्रिण भव में आय, पूर्वे आख्यो तेहथी। *लय : आई डूं देवा मोलम्मड़ा सासूजी २७. सूक्ष्मसम्परायस्यैकत्र भवे आकर्षचतुष्कस्योक्तत्वाद् भवत्रयस्य च तस्याभिधानात् (बृ.प. ९१६) २८. एकत्र चत्वारो द्वितीयेऽपि चत्वारस्तृतीये चैक इत्येवं नवेति । (वृ. प. ९१६) २९. अहक्खायस्स जहण्णेणं दोण्णि, उक्कोसेणं पंच । (श. २५१५३२) ३०,३१. यथाख्यातसंयतस्यैकत्र भवे द्वावाकर्षी द्वितीये च द्वावेकत्र चैक इत्येवं पञ्चेति । (व. प. ९१६) श० २५, उ० ७, दा० ४५९ १८९ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003623
Book TitleBhagavati Jod 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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