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________________ ७. आणापाण णं भंते ! कि संखेज्जा? एवं चेव । (श. २०२४८) ८. थोवे णं भंते ! कि संखेज्जा? एवं चेव । एवं लवे वि, मुहुत्ते वि, ९. एव अहोरत्ते, एवं पक्खे, मासे, उऊ, १०. अयणे, संवच्छरे, जुगे, वाससए, ११. वाससहस्से, वाससयसहस्से, पुव्वंगे, पुव्वे, ७. इक आणापाणु नैं विषे प्रभु ! स्यूं समया संख्यात ? ____ एवं चेव अहीजिय, पूर्ववत अवदात ।। ८. एक थोव नै विषे प्रभु ! पूर्व भाख्यो जेम । लव नै विष पिण इमज छ, मुहूर्त विष पिण एम ।। वा.-सात उस्वास-नि श्वास नों एक थोव, सात थोव नीं एक लव, ७७ लव नों एक मुहूर्त । ९. इम अहोरात्रि विषे वलि, पक्ष विष पिण एम । मास विष पिण इमज हि, ऋतु विषे वलि तेम ।। वा.-तीस मुहूर्त नों एक अहो रात्रि, पनरै अहोरात्रि नों एक पक्ष, दोय पक्ष नों एक मास, दोय मास नी एक ऋतु ।। १०. एवं अयन विष वलि, वर्ष विषे इम लेह । ___ जुग विषे इमहीज ही, इम सौ वर्ष विषेह ।। वा. - तीन ऋतु नों एक अयन, दोय अयन नों एक वर्ष, पांच वर्ष नों एक जुग, बीस जुग नां सौ वर्ष । ११. सहस्र वर्ष नै विषे वलि. लक्ष वर्ष विषेह । पूर्व नां अंग नै विषे, पूर्व विषे इम लेह ।। वा.-८४ लाख वर्ष नै एक पूर्व नों अंग कहिये । अनै ८४ लाख वर्ष में ८४ लाख गुणा कीज तेहनै एक पूर्व कहिये । जेहनां वर्ष ७० लाख कोड़ अनै ५६ हजार कोड़ वर्ष हुवै। १२. एवं तुटित नां अंग विषे, तुटित विषे इमहीज । एवं अडड नां अंग विष, अडड विष इम लीज ।। वा.-पूर्व नै ८४ लाख गुणा कर तिवारै एक तुटित नों अंग कहिये । तुटित नां अंग नै ६४ लाख गुणा कर तिवारै एक तुटित कहिय । तुटित नै ८४ लाख गुणा कर तिवारे एक अडड नों अंग कहिये । अडड नां अंग नै ८४ लाख गुणा कर तिवारे एक अडड कहियै । इम आगल पिण एक-एक पद नै विषे ८४ लाख गुणा करिवा। १३. एवं अवव नां अंग विषे, अवव विषे इम जाण । हहक अंग विषे वलि, हहक विषे पहिछाण ।। १४. उत्पल अंग विषे वलि, इम उत्पल विष ताय । एवं पद्म नां अंग विषे, पद्म विषे इम पाय ।। १५. एवं नलिण नां अंग विषे, इमहिज नलिण विषेह । ___ अर्थनिपुरांग ने विष, अर्थनिपूरेह ।। १६. एवं अयुत नां अंग विषे, अयुत विषे पिण एम । नयुत नां अंग विषे वलि, नयुत विष पिण तेम ।। १७. एवं पयुत नां अंग विषे, पयुत विष इम होय । चलिका अंग विषे वलि, चलिका विषे जोय ।। १८. सीसपहेलिका नां अंग विषे, सीसपहेलिया विषेह । पल्योपम नै विषे वलि. सागरोपम लेह ।। १९. इम अवसप्पिणी नै विषे, उत्सप्पिणी विषेह । असंख्याता समय कह्या, सगली ठामेह ।। १२. तुडियंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, १३. अववंगे, अववे, हूहूयंगे, हूहूए, १४. उप्पलगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, १५, नलिणंगे, नलिणे, अत्थनिपूरंगे, अत्थनिपूरे, १६. अउयंगे, अउए, नउयंगे, नउए, १७. पउयंगे, पउए, चूलियंगे, चूलिए, १८. सीसपहेलियंगे, सीसपहेलिया, पलिओवमे, सागरोवमे, १९. ओसप्पिणी । एवं उस्सप्पिणी वि । (श. २५१२४९) श०२५, उ०५, ढा०४४३ ९७ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003623
Book TitleBhagavati Jod 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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