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________________ स्यं समया संख्यात ? समया हुवै नाथ ! ॥ संख्यात । थात ।। २०. इक पुद्गल परावत ने विषे अथवा असंख अनंत ही, २१. जिन भाखं सुण गोयमा! नहीं असंख्याता पिण नहीं ह्वै, समय अनंता २२. एवं अतीत अद्धा विषे, अद्धा अनागत मांय । सर्व काल नै विषे वली, समय अनंता थाय ॥ २३. बहु वच आवलिका ने विधे प्रभु! स्यूं समय संख्यात ? असंख्याता समया हुवै, के समय अनंता थात ? २४. जिन भाखे सुण गोयमा ! संख्याता नांय । असंख्याता समया कदा, कदा अनंता थाय ॥ २५. बहु आणापाणु विषे प्रभु ! स्यूं समया संख्यात ? इत्यादिक पूछा कियां, एवं चैव कहात ।। २६. बहु वच थोव विषे पृच्छा, एवं चेव कहेह | एवं जाव बहु वच करी, उत्सप्पिणी नगेह ॥ २७. बहु पुद्गलपरावतं विषे स्वं समया संख्यात? इत्यादिक पूछा कियां, भाखे जगनाथ || २८. सख्याता समया नथी, नहीं हुवै असंख्यात । समय अनंता हुवै सही, एह समय अवदात || २९. इक वच आणापाणु विषे आवलिका स्वाम ? स्य संख्याती हवे अच्छे के असंख अनंती आम ? ३०. जिन भावं सुण गोयमा आवलिका संख्यात । ! असंख आयला हवे नहीं, अनंत आयलिका न थात ॥ ३१. इक थोव विषे पिण इमज ही, एवं जावत जाण । एक सीसपहेलिया लगै कहिवो पहिछाण || ३२. एक पल्योपम ने विषे आवलिका स्वाम | स्यूं संख्याती हुर्व प्रभु! के असं अनंती पाम ? ३३. जिन कहै संख्याती नहीं, असंख आवलिका थाय । अनंत आलिका हुवे नहीं एक पस्योपम मांय ॥ ३४. एवं एक सागर विधे अवसयिणी विषे । इक उत्सपिणी ने विषे इमहीज कहेह ॥ ३५. पुद्गलपरावतं इक विषे पूछ कहे स्वाम आवलिका संख असं नहीं अनंत आवलिका पाम || , " ३६. एवं जावत इक बचे सर्व अदा कहिवाय । 1 जाव शब्द में अतीत ही, अनागत फुन आय || २७. बहु वच आणापाणु विषे आवलिका सोय । स्यूं संख्याती हु प्रभु ! के असंख अनंती होय ? ३८. जिन कहै संख्याती कदा कदा असंच हवे तेम अनंत आवलिका दुवै कदा, जाव उत्सप्पिणी एम ॥ १. काल के विभागों में अवसर्पिणी के बाद उत्सर्पिणी आता है। पुद्गलपरावर्तन इसके आगे है । अंगसुत्ताणि में ओसप्पिणी के बाद पोग्गलपरियट्टा है । पाठ के संक्षेपीकरण में यत्र तत्र ऐसा अन्तर रहा है । भगवतो जोड १८ Jain Education International २०. पोग्गलपरियट्टे णं भंते! किं संखेज्जा समयापुच्छा । २१. गोयमा ! नो संखेज्जा समया, नो असंखेज्जा समया, अणता समया । २२. एवं तीयद्धा, अणागयद्धा, सव्वद्धा । (श. २५/२५० ) २३. आवलियाओ णं भंते! कि संखेज्जा समया पुच्छा । २४. गोयमा ! नो संखेज्जा समया, सिय असंखेज्जा समया, सिय अनंता समया । (म. २५०२५१) समया० ? एवं (. २५०२५२) २५. आणापाणू णं भंते! किं संखेज्जा चेव । २६. थोवा णं भंते ! कि संखेज्जा समया ? एवं चेव । एवं जाव ओसप्पिणीओ त्ति । ( . २५/२५३) २७. पोग्गलपरियट्टा णं भते ! कि संखेज्जा समयापुच्छा । गोयमा ! समया । २८. नो संखेज्जा समया, नो असंखेज्जा समया, अनंता (२५०२५४) २९. आणापाणू णं भंते! किं संखेज्जाओ आवलियाओपुच्छा । ३०. गोपमा ! संखेनाओ आवलियाओं, नो असंखेज्जाओ आवलियाओ, नो अनंताओ आवलियाओ । ३१. एवं थोवे वि । एवं जाव सीसपहेलिय त्ति । (श. २५/२५५) ३२. पलिओमे णं भंते ! कि संखेज्जाओ आवलियाओपुच्छा । ३३. गोयमा ! नो संखेज्जाओ आवलियाओ, असंखेज्जाओ बायलियाओ, नो अता सियाओ ३४. एवं सागरोत्रमे वि । एवं ओसप्पिणी वि, उस्मप्पिणी वि । ( २५/२५६) २५. पोलपरियडे पुच्छ गोयमा ! नो संखेज्जाओ आवलियाओ, नो असंखेजाओ आवलियाओ, अनंताओ आवलियाओ । ३६ एवं जाव सव्वद्धा । (श. २५/२५७ ) ३७. आणापाणू णं भंते! कि संखेज्जाओ आवलियाओपुच्छा । ३८. गोयमा ! सिय संखेज्जाओ आवलियाओ सिय असंखेज्जाओ, सिय अनंताओ । एवं जाव उस्सप्पिणीओ । (श. २५/२५८, २५९ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003623
Book TitleBhagavati Jod 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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