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॥ श्रीः ॥
विषय.
गुण तमोगुण लूडामणिके विषयोंकी अनुक्रमणिका ।
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पृष्ठांक
सत्त्वगुणका क
रण शरीर कथ
.... १
मोक्ष नहीं होता
नात्म वस्तुका
२
म वस्तुओंक
३
शरीर होना दुर्लभ है त्म विचारक पाकर जो अपना अर्थ साधन न करे वह आत्मघाती व मूढ है विना धन आदि होने पर भी मुक्ति नहीं होती.
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म स्वरूप
नमें उपाय दर्शन
विचार करनेसे वस्तु प्राप्ति. आत्मसाधन में अधिकारीका लक्षण
साधनका निरूपण मुमुक्षुत्व व विनिश्चयका लक्षण वैराग्यका लक्षण
राम दम उपरतिका लक्षण
तितिक्षा लक्षण द्वालक्षण
समाधानका लक्षण
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केवल पण्डिताईसे मोक्ष नहीं. ज्ञानहोने पर शास्त्रोंके वैयर्थ्य त्वज्ञानसे तत्त्व को जानना.
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शिष्यका पुनः प्रश्न.
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गुरुकर्तृक शिष्यका धन्यवाद संसारी बन्धमोचनमें आत्मासे दूसरा समर्थ नहीं.
ज्ञानहीसे मोक्ष होता है.
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मुक्षुताका लक्षण जिसमें वैराग्य व मुमुक्षुता दोनों तीव्र हैं उसीमें शम आदि फल होते हैं वैराग्य व मुमुक्षुतामें मंद होनेसे शम आदिका आभासमात्र रहता है. मोक्षके सब साधनों में भक्तीकी श्रेष्ठता व भक्तिका निरूपण. गुरुके पास जाना व गुरुका लक्षण गुरुसे नम्र होकर प्रश्न करना. शिष्य के प्रति अभयदानपूर्वक उत्तर देना.
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