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अनुक्रमणिका। विषय. अज्ञानका निवर्तक ब्रह्मज्ञानही है .... .... .... केवल ब्रह्मशब्द जानलेनेसे मोक्ष नहीं। प्रश्नप्रशंसा .... .... ... ... .... . सावधान कराना. .... ... मोक्षसाधन क्रम. आत्म अनात्म विचारकी प्रतिज्ञा .... .... स्थूलशरीरका स्वरूप व उसका कारण ...... विषयोंका दोष कथन पूर्वक उनको त्याज्य कराना जो केवल देहहीका पोषक है वह आत्मघाती है देह पुष्ट करनेसे आत्मज्ञान नहीं होता मोहको जीतनेपर मुक्ति होती है .... .... स्थूल देह निन्दा .... .... .... स्थूल देह पूर्व जन्मकृत कर्मसे उत्पन्न है जाग्रत अवस्थामें स्थूल देहका प्राशस्त्य जीव देहका भेद कथन. .... .... जन्मआदि धर्म स्थूल देहका है .... ज्ञानेन्द्रिय व कर्मेन्द्रियका परिगणन अन्तःकरण चार हैं चारोंका लक्षण.... .... प्राणके पांच भेद कथन .... .... ... लिंगदेहका स्वरूप कथन.व इसकी स्वप्नमें प्रतीति होना व इसका कार्य अन्धत्व बधिरत्व आदि धर्म नेत्रादिका है आत्माका नहीं ऊर्ध्व श्वास आदि क्रिया क्षुधा आदि धर्म प्राणका है। सुख दुःख आदि धर्म अहंकारका है। सब विषय आत्माके लिये प्रिय हैं. सुषुप्तिमें आत्मानन्दका अनुभव मायाका स्वरूप प्रदर्शन .... .... मायाके गुणकी संख्या .... विक्षेप नाम कर जो गुणकी शक्ति .... रजोगुणका धर्म व उसका कार्य .... .... आवरण नामक तमोगुणकी शक्ति व आवरण शक्तिका कार्य । तमोगुणका धर्म व इसका कार्य .... .... .... .... ....
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