________________
(१८)
विवेकचूडामणिः ।
जो द्रव्य जमीनमें किसीका रक्खा गाडा है उस द्रव्यको जो नहीं जानता है उस पुरुषको कोई ज्ञाता पुरुष बतावे पश्चात् बताने मोताबिक खोदा जाय और उसके नीचेके कंकड़ पत्थर अलग किया जाय तो उस जगहका रक्खा हुआ द्रव्य मिल जाता है बिना खोदे केवल बताने से नहीं मिलता जैसे माया के प्रपञ्च में छिपाहुआ आत्मा का बोध गुरुके उपदेश मोताबिक साधन किये विना दुष्ट युक्तियोंसे कभी नहीं प्राप्त होगा ॥ ६७ ॥
तस्मात्सर्वप्रयत्नेन भवबन्धविमुक्तये ।
स्वैरेव यत्नः कर्त्तव्यः रोगादाविव पण्डितैः ॥ ६८ ॥
इस वास्ते संसारबन्धसे मुक्त होनेके निमित्त अपनेही उपाय करना उचित है जैसे रोग से मुक्त होने में अपनाही किया हुआ पथ्याचरण औषध सेवन हितकारी होता है ॥ ६८ ॥
यस्त्वयाद्य कृतः प्रश्नो घरीयांश्छास्त्र विन्मतः । सूत्रप्रायो निगूढार्थो ज्ञातव्यश्च मुमुक्षुभिः ॥६९॥
जो प्रश्न अभी तुमने किया है वह अति उत्तम है सर्व शास्त्र से सम्मत है सूत्रप्राय है अर्थात् थोरे अक्षरों में बहुत अर्थ भरा है यह प्रश्न मोक्षके इच्छा करने वालों के अवश्य जानने योग्य है ॥ ६९ ॥
शृणुष्वावहितो विद्वन् यन्मया समुदीर्य्यते । तदेतच्छ्रवणात्सद्यो भवबन्धाद्विमोक्ष्यसे ॥ ७० ॥ हे विद्वन् ! जो मैं कहता हूँ सो अपने मनको स्थिर करि सुनो इसके सुनने से और विचारनेसे अवश्य संसार बन्धसे मुक्त हो जावोगे ७० मोक्षस्य हेतुः प्रथमो निगद्यते वैराग्यमत्यन्तमनित्यवस्तुषु । ततः शमश्चापि दमस्तितिक्षा न्यासः प्रसक्ताखिलकर्मणां भृशम् ॥ ७१ ॥