________________ -------- महावरे छट्टे किरियहाणे मीश्ववतिए सि से जहाणामए मोसवलिए आतहेतुं वा महेतुं वा महोढवि स को इ चोरो गहिती अवलवाल शाहुं चोरो'लि. पायहेतु नि पुत्ती वा से अण्णी या से कोइ एस चोरी,मी पारमारियो / दास-भल-शाही परिवाशे शङ्क मुसं, असोजाब मोमोबदेशं करेइ एवं तुझ भोज्जयास' कूडमधल्पी वाति ।अण्णं वा अणुजाति, चैव भणहि-सुबुलुहि अवलत , योगनिक करणविकेण सावज तिराहे किरिय०६॥ - अहावरे सत्तमे किरियहाणे अदिण्णादाणवसिए ति आहिजाति से जERIES के व पुरिसे आतहेतुंवा जाव परिवारहेतु बासयमेव अधिष्णं आदियति अण्णण विभदिण्णं आदियावेति अदिग्ण आदियंत अण्णां समशुजाणालि एवं खलु लस्स तप्पत्तियं सावति आहिज्जति,स त्तमे किरिया आदिण्णादाणवत्तिए ति आदिते // ----- अहावरे सत्तमे किरि भविन्ना (दिना) दाणवत्तिए ति से अधाणामए अातहेतुं अहमेलं परिभुनिस्सामिति एवं जाति, अार-प वाहरतियोगनिक-करणविकेण सावजे ति सलमे किरिय०७॥ --- अहावरे अट्ठमे किरियहाणे भज्यस्थिएं लि आहिज्जति,से महाणामए केतिपुरिसे स्थि कैति किंचि विसंवादेति सयमेव होणे दीणे दुढे दुम्मणे औहयमणसंकप्पे चिंतासोगसागरसंपविट्ठे करतल पन्हत्थमुहे अदृज्झाणोवाए भूमिगतदिट्टीए झियाइ लम्स ज अज्झ