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________________ अहावरे पंचम दंडा से महागामए केइ पुरिसे माहीहि वा पितीहिया , नित्यमात्मनि गुरुधुच बहुवचनम् अहवा माताहि ति माति सवत्तिणीको मातुसियाली पितुस्सित्ताओ गोहिलाओ, पितीहिं हि पित्यादयः पितृवयंसा वा सैसाणि भातिमादीजि,मित अमित्तमिति मिग्रहण एते चैव पुलदिहा माया दीया महिला, तैनिं पातरं वा रातो वा रक्षण्णवणउ लि काउं घरं अतितं वा नितंवा मितं अमितमिति स्तेि वधिलपुल्वे ति सान्दृष्टक कियते / अस्थि के इवधितपुबे भवति अजाणती वृविपर्यासः दिविविप्परियासिया | सैजधान केइ पुरिसे गामघास सिवा गलो बा वियालं सि ता दिवसली पा सावत्झान्तलोचनः अक्षणं लैणं सि असेणे हत पुल्ले भवति, आसणे वा असिमादियो जति विट्ठी विपज्जासो होती ण मारतो,तस्स तं सावज्जेति पंचमा किरिया दंडो घात इत्यर्थान्तरम् |सतु पराश्रयदण्ड समादियति एभिरिति दंडसमादाणे (इ- . -दाणिप्रायेण आत्मा भयाणि एव एकान्तन लेख परस्स ववरोवणं भवति तथा वि कामबंधो भवति सिकाउँ किरियाद्वाणाणि कुच्चेति,आदिलाई (पुण) किरिया हाणते विसति दंडसमादाणे ति वि सति दंउसमादाणा पुच्चति 5 // -------अहावरे छठे किरियहाणे मोसत्तिए ति आहिज्जति सैजहाणामए के पुरिस मातहेतुवा पायहेतुं वा अगारहेतुवा परिवारहे वास्यमेव मुझे वयति अण्णा विमुझं वदावेति मुसंवयं तं कि अण्ण समणुजाणति एवं खनु तस्स तप्पत्तितं सावजे सि आहिजाति, छठे किरि यहाजे मौसवत्तिए तिमाहिते।। - --- - -------- - - -
SR No.002426
Book TitleSutrakritanga Churni
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages284
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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