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________________ बुद्धिरमिनाय इत्यमर्थान्तरम् अधवा प्रणिधानंदीतं संगमादीहि अप्पाणं ण वैति। उक्त हि-वीत समणासरणीला भिगवाएगता एते मिति कट्टु जावाणिसिरतिा से मिग तधेस्सामीति कट्ट तिरं तिवा जाव कार्वजन वा विधित्ला भवति, जटामृग बहा अण्णं दूपद-चापद मिशसिर्व वा विधित्ता भवति / इति खलु से अण्णास्स अट्ठाए जाव सैजधाOIमए के इ पुरिसे सानिमाति णितिज्जमाणे सि बिहेमाणे अन्नतरअण्णतरस्स वह निसिरति सत्यं वा असिगमागमेवा (उसुमायामैत्ता) मदणकी सुगंधा लणजाति सालिमाइ छिदिता भन्नति इति रिवनु] से अ पास्स अट्ठाए अण्ण फुसति, फुसति णाम छिंदति,अथवा फुसति फुसमाणो चैवदु(दाकरवं उप्पा देति, किं पुणछिजमाणे? चउत्थे वेडे४॥ अहावरे पंचमै दंउसमादाणे दिडीविप्परियासियादडै लि आहिजइ से जहाणामए केलि पुरिस मादीहिं वापितीहिं वा भातीहिया भगिणीहिं वा भजाहिरवा पुत्तेहिं वा धूताहि वा सुण्डाहि वासद्धि संवसमाणे सितं अमित्तमिलि मन्नमाणे मिते हयपुबे भवइ. विट्ठीविप्परियासियादडे से जहाणामए कैद् पुरिस गमधार्यसि वाणाम्रघायंसिवा खेड कब मडंबद्यासि वा दोणमुहघायंसिवा पढनायव्य)सि वा आसमघायंसियासक्षिवैसघायंसिवा निगमघायंसिवा रायहानिघायंसि बा असण लेणमिति मणमाण अतण हरपुवे भवति दिढीविप्परियासियद(यादेडे), एवं खलु लस्स लप्पत्तियं साव लि आहिज्जति पंचमे दंडसमादाणे घिडिविपरियासियाई लि आहिए -------- - -
SR No.002426
Book TitleSutrakritanga Churni
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages284
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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