________________ --------- किरियाणरस अभिसंबंधी-एवं लेण चरण-करणपारगेण विदुणा भिक्षुणाकम्मा खवणदुप्पध्मुद्वितण काम बंधणदाणाणि वोलखा जि, तलिवरी तागि य सौरवबन्धटाणागि आसे [व] तवाति / एस संबंधो अहवा से अण्णास्थिया कह . संसारं अणुपरियइंति?,कम्मणा, कम्मबंध बज्झति इमेहिं बारसहि किरियडाणेहि मुच्चति तैरसमैणं,एलेणाभिसंबंधेणं किरियाणं णाम अज्जायणं आगतं तस्सचत्तारि अणुओगद्दारावण्णेलला। .. -----किरियाऔभणियाओ किरियाठाणे ति तेण अज्मायणं। -------- ----- अहिगारी गुणाईसे बंधे तह बंधमोक्रो य - // 165 / / अहिगारों पुणाई से बंधे त ह बंधमोकरखे अ।। आह-अस्तु ताव मोक्रवणाधिकारी, बन्धेन किं प्रयोजनम् ?, उच्यते-नानाबन्धे मौकरतो भवतीति अती बन्धेनाप्याधिकारी भवति,तच्च क्रियास्थानं कियावत्स्वेवर भवति मानियावत्सुर,तै चक्रियावन्तः केचिद्वध्यन्ते केचि न्मुच्यन्ते तेण इमस्स अन्झयणस्स बंधणाहिगारो बंधमोक्रयेणय धुत्तो अधिकारी ।।इदाणि प्रामाणिकपणे किरियाठाणं / किरिया औ णिक्खि वियवाओ ठाणं च। किरियाऔ पुलमणिसाओ,कत्थ भणिताऔर पडिलमणए-पडिमामि पंचाहं किरियाहिं "किरिया णिक्खि----- - वितव्वाणामााि --- दवे किरिएयणए पयोमुषायकरणिज्जसमुदाणे। इरियावधसम्मत सम्माक्टिछे यमिच्छ-से / / 166 - -