________________ साड्यात समण-माहणा पूएंसिनतु प्रत्युपकारार्शम् लोकायतिकवला जादणिकामइसा पुत्वामेव सैसिंजातं भवतिधम्मवाए पवयंतिजाव पावकार शो करेरशामी समुहाए से अप्पणा अविरताउदेसगादीनि प्राप्तियति,एवं आव कामभोगसैर्यसि विसणी दोच्च पुरिसजाले // 10 // 646 1. अहावरे ईसक र पुर फूसाअहावरे सच्चे पुरिसळाले इस्सा (ईसर)काशिण ए ति(०ए इति खो आ -हिज्जइ-इह गलु पादीणं वा 4 मगलिया मणुम्मा भवति अणुपुब्वेणं लौयं उबवना। तं०-भारिया बेटी जाव सिंच महसे एगे राया भिवति जाव सैणाबलिपुत्ता। तसिं च ण एालीएसडीभवति, काम तं समणा य माहणा य पहारिसुगमणाए प्राव जहा में एस धम्म सु अक्वात सुपण्णत्ते भवति। इहरवलु धम्मा पुरिसामा दीया पुरिसोत्तरीया पुरिसप्पणीया पुरिसपज्जी० ख १५-२०ट्टी सादीया पुरिसुस रीला पुरिसप्पणीया पुरिससंभूता पुरिसपजोख 2 पु.१॥ या पुश्सिप्पणीया पुरिसोत्तमीया पुरिसपजीतिता पुरिस अभिसमण्णागला -पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति। से जहाणामते गंडे सरीरे जाते सरी३'बुडे (संखुड़े रख 6 // ) सरीरे अभि समाणा गते सरीरमेव अभिभूय चिति, एवामेवधामा पुरिसादीया जाव पुरिसीव अभिभूय चिट्ठतिासेजहाणामए अरई (अरतिए सि रखे // ) सिया सरीरे जाया सबीरे अभिसंखुड्डा सरीरे अभिसमणा गला सरीरमेव अभिभूत चिलिएवामैव धम्मावि परिसादीया जाव पुरिसमेव अभिभूत चिटुंति * on एतचिन्हान्तर्गलसूत्रपाठस्टाने जाब इत्येव पाठः रखें 2 पूपू.२ प्रसौ वर्तते / / . M usiaslation