________________ सज्हाणामए सम्मिए सिता पुढवीजाएपुढवीसंखुड्डे पुढवीअमिसमण्णणगए पुढवीमैव अभिभूतचिंति एवामैव धम्मावि पुरिसादीया जाव पुरिसमेष -- -अभिभूततितिासे पाहाणामए सम्वेसिया पुढविजाए पुढविसंबुडे पुढविअभिसमणगए पुठविमैव अभिभूय चिति, एवामेवधम्मा वि -- पुरिसादीया भाव पुरिसमेव अभिभूय चिति / स जहाणामले पुक्रवरिणी सिसा पुढविजाला आव पुढविमेव अभिभूत चिट्ठलिएषामेवधम्मा वि - पुरिसादीया जाव पुरिसमेव अभिभूतचिट्ठति से जहाणामते उदगापौरखले सिताउदगजाए जाव उदगमेव अभिभूत चिटुति,एवामैव + - - धमा वि पुरिसादीया जाव(जाब चिट्ठति / एवं उदगबुब्बुए भाणियन जंपियखं 2 पु.१ पु२) पुस्सिमेव अभिभूत चिटुंलि / से जहाणामए उपबुबुए सिया उदगाए जाव उदगमेव अभिभूत चिट्ठति एवामेवधम्मा वि पुरिसादीया जाव परिसमेव अभिभूय चिट्रलि जपि यइमं समणाणं णिगांधाण उद्दिष्टुं पणीयं वियंप्रियंदुवालसंगं गणिपियं,तं जहा-आयारी सूधगडी भाव दि -दिवाली,सबमे मिच्छा, ण एवं नहियं ( लेलं आ ख२ पु१ पु२५) एयं आधुत्तधियो वन सच्चं हम बहियं इमं आहालहियं आसहितं - अहसहियं पृ.१.पू (अत हालहित रव 2 पुप.पुर) ले एवं स कुन्नति, से एवं समा ठति (सह संठ रखपुर पु-२॥), एवं सन्न सोउवयंलि, --- सोनवयंति वृ० दीना, तमेवं ते वजातीयंदुक्ख पालिरणादिउ० व 1 // ) उट्ठतिसउणं (सउणी खे१ख 211. पुरव दी.॥) - पिंजरं जहा।-----