________________ णाम ठवणा दविए अइच्छ पडिसेहएयमावैयाएसी पच्चक्खाणरस छतिहो होइ णिवी / / 179 / / ...-.--- जानठवना गाधादिब्बपच्चरवाजलि दवेकवा पच्चक्रवाणं दलभूलीना पच्चक्रवत्तिोलबद्रव्यस्थ द्रव्ययोः द्रव्यागांवा पच्च क्विाणजोजसचिसं अक्तिं वादव पच्चक्रवति तंदब्बतं साधणसावयाण यासाधणसञ्चित्तादि सव्वदनाणि जावज्जीवाए पच्चक्रवाताहासावगो विय कोइ जावज्जीवाए आउकायज सव्वं सञ्चित्तं कंद-मूल-फलाति पच्चरवाति, कौइसचितं आऊ कार्य वज्जेइ.अक्सि मज्ज-मसादि जावज्जीवाएपच्चरवातइकोइ विलीओ विसबाती जावज्जीबाए पच्चरवाति, यदि दिगंवा कोइ समाती पच्चक्रवति कोइ महाविपतिवज्जानं आगारंकरेइसावगा विकेवि जावजीवाए मज-मसाति वन्नति दवेण तच्चरवाणं जधा-रजोहरणेण हत्यगले पच्चक्रवति,दव हेतुंवा पच्चक्रवाइ, जया घम्मिल्लस्मादब्बभूती वा जो अणु व्युत्ती राजतंदवपच्चरवाजा अतिच्छ समण अत्तिच्छ बंभण ति पडिसेध एवाजधाको इकेणइजाइती किंचि भणति - ण देEि त्तिामातापच्चक्रवाणं दुविध:-- मूलगुण उत्तगुजे पच्चरवाणे इह अधीकारी। होज हुतपच्चइय अप्पच्चकवाज किरियाम्गदरना // अप्पच्चक्रवाणकिारया समताछ।