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________________ शाणं उदगाणसिहमाहारेति, जीवा आहारेति पढविसरीरं जावसंत अवरे वियण लेसिं उदाजीणिया उदगाण जाव पुरवल्ल- " -च्छिभगाणं सरीरा Tणावण्णा जाव मक्खायं एक्को चेव आलावगी॥ - - - ---------अहावरं पुरक्वायं इहेगलिया इहेगसिया) स्ता तसिं चेव पुढविजोणिएहि कस्वहिं रुक्रवजोणिएहिं रुक्रवेहि रुक्रवजी जि एहिं मूलहिं जाव बीएहि रुपनवजोगिएहि अज्झारोहेहिं अज्झारोहजोणि एहि अज्झारू है हिँ अज्स्पारो हजोणिएहि मूळेहि जाव सीएहि पुढविजोणिएहि तणहि सणजोगिएहिं तणेहिं ताजोणिएहि मूलहिं जाव बीएहि एवं ओसहीही विलिणि भा लावगा,एवं हरिएहि वितिणि भालावगा, पुढविजीणि एहि वि आहेहिं काएहिं जाव कूरीहिंउदगोणिएहि रुस्खेहि रुक्रबजोणिहि -रुक्रवहिरुक्खजीणिएहि मलेहिंजाववी एहिं एवं मझाकहहि वि तिणि तणेहि पितिण्ाि आलावा, ओसहीहि पि तिाि , हरिएहिं पि सिण, उदाजीलिएहि उदएहि अवएहि जाव पुक्रवलच्छिभएहि ससपाणलाए विउहति // ले जीवा तेसिं पुढबीजोणियाणं उदाजीणियाणं रुक्खजोणिया अज्झारीहजोणियाणं लगजीजियाण औसहीजीजियाण हरियजोणियार्ण रुचखाणं अज्झाबहाण ताण ओ---- सहीणे हरियाणं मूला जाववीआणं आया कायाण जाव राणं उदगाणं अवगाणे जाव पुक्रवलचिभमाण सिणेहमाहारैति, तजीवा आहारंतिपूढविसरीरं जावसंत, अवरे वियलेसिंक्वजोणियाणं अज्झारोहजोणियाण तणजोणियाण सहि---
SR No.002426
Book TitleSutrakritanga Churni
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages284
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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