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________________ 1 अहावरं पुरक्वाय इहगलियासत्ता पुढधिजीणिया पुदविर्सनवा जाव कामणिदाणेणं तत्य वकमाणाणाविहजोणियासु पुठलीसु आ यताए वायसाए काटात्ताए कुहणताए कंदुकत्ताएं उब्वेहणियताए णिल्वेहणियत्ताए सछत्साए उत्तगत्ताए वासाणियत्ताए कूरसाए विउठूति, ते जीवा सेसिं जाणाविहजोणियाणं पुढवीण सिणे हमाहारेति, ते जीवा आहारेति पुढमविसरीरं जाव संसं,अवरे वियण सिं पुढविजीणि-- याणं आयाण जाप कूरार्ण सरीराणाणावण्णा जावमक्खातं, एगो चैव आया वगी सैसा तिणि स्थि॥ - - अहावरं पुरवतात इहे गतिया सता उदाजीणिया उदासंभषा जाव कम्मणियाणे तत्थ बक्समा गाणाविहजीगिएसूद उदऐस रुक्रवताए विउति तेजीवा तसिं णा बिहजोणियाण उदगा मिजो हमाहारेलि,तेजीबा आ हारेंति, पदविसरीरं जावसंतं, अवरे वियतेसि उदगजोगिया रुक्तार्ण सरीराणाणावण्णा जाव मक्खाय। जहा पटविजोगिया रुक्खा चत्तारि गमा अज्झाकहाण वितव, ताण ओसहीर्ण हरियाणं चत्तारि आलावगा भागथवाएछो॥ ----- अहावरं पुरक्वायं इगलिया सत्ता उद्गजोणिया उद्गसंभवा जाव कम्मणि दाणेणे तस्थ बक्कमा जाणाबिहजीजिएम उव एसु उदात्ताए अलापलाए आसाए, अवगत्ताए पपासाए सेवालसाए कलंबुगत्ताए हदत्ताए कसे साताएकच्छभाणियत्ताए उपलताए पउमताए कुमुदत्ताए नलिणत्ताए सुभात्ताए सोगंधियत्ताए पॉडरियमहापोंडरियताएसयपत्तत्ताए सहस्स पत्तत्ताए एवं कल्हारकोंक "पयत्ताए अरविंदत्ताए सामनसताए भिसभिसमुणालपुक्खलताए पुरवलच्छिभात्ताए विउ ति, ते जीवा तेर्सि णाणा विहजोणि
SR No.002426
Book TitleSutrakritanga Churni
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages284
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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