________________ -----.."अहावरं पुरवरवात इगतिटा सत्ता अज्झारोहजोणि या अज्झारोहसंभवा जाव कम्मणिदाणेणं लत्या वक्कमा अज्झारोह जी जिएसु अज्झारीहत्ताए बिउति,से जीवा लेमिं अज्झारोहजोणिया अज्झारोहाण सिणेहमाहारैति,ते जीवा आहारंति पुढविसरीरं आसरीरं जाव सारूविकडं संतं,अवरेवि य क लेसिं अज्झारोहणोणियाणं अज्झारोहाणं सरीराणाणावना जाव मकरवायं॥------- --- अहावरं पुरकखायं इहेगतिया सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कामनियाणेणं सत्यवतमा अज्झारोहजोणि एसु अज्झारी हेसु मूलत्ताए जावबीयसाए विउटुंति ते जीता तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झाशेहाणं सिणेहमाहारेंसि जाव अवरे विय ण से सिं अज्झारोहजोणियाणं मलाणं जाष बीयाण सरीश पावणा जावमक्वायं। अहावरं पुरक्खायं बहे गतिया सत्ता पुढविजोगिया पुटविसंभवा जाव णाणाविहजोगियासु पुचीसु तणत्ताए वि उटुंलि, ते जीवातसिंगाणाविहजीनियाणं पुढवीण सिजे हमाहति जावतेजीबा कस्मीबवण्णा भवतीति मकरवाय॥ एवं पुढविजीणिएसु लणेच तणताए चिउति आव मक्वाय॥ एवंतणजोणिएसतर्गसुतणत्ताए विउईलि,तगजोगियंतणसरीरं च आहारेति जावमक्वार्य एवं तणजीजिएसुतणेसु / मूलताए जाष बीयत्ताए विउदृति से जीवा जाव एवमक्रबायं।एवं ओसहीण वित्तारि आलावगाएवं हरियाणवि सारिआलावगा।