________________ वृत्ती कालो गाधासिद्ध एव।।इदाणि अणाहागा च्टांति ते दृविधा--------- छमत्था केवली यातत्य छमत्या अणहारगा।-.............. ----- * एवं च दोन समए केवलि परिवज्जिया अणाहारा। मर्थमि दीणि लोए य पूरिए शिति समया उशा एक व दो व समए केवलिपरिवज्जिता अक्षणाहारा मिथम्मि दौणि लोगे य पूरित तिणि समया तु॥ एग व दो व समए ति विगहातीए / केवलीमा हारगा दुविधासिद्ध केवलि अणाहारा भवत्थके वलिअणाहारा / भवत्या केवलि अणा हारा टूविधा, तं मधासोगि० अयोगी सयोगि भवत्यकेवलिमा हारगा समुग्घातगलात पुण थन्मि दौणिमयं पूरेती लोए भवति तइए समए णिराहती पंचमसमए लोग पूरैतिचउत्थसमए,तिसुविअणाहारो॥ अंतोमुहत्तमद्धं सेलेसीए भवे अमाहारा। सादी यमनिह पुण सिद्धायऽण हारगा होंति // 16 // ------ -इदाणिं अजी गिभवत्य केवलि अाहार औ धासिद्धो चैव अंती महत्तासिद्ध के वलि अणहारओ विगाधासिद्धी सादीय अणिधणी सिद्ध अगाधारी।।--- जोएण कम्मएणं आहारेई अतरंजीवी। तेण परं पीसेज जाब सरीरस्स प्रज्जती // 1 // -- - - -