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(५१२) ___ चैत्र महिने के पहले चौदह अहोरात्रि उत्तरा फाल्गुनी के होते है, उसके बाद पंद्रह अहोरात हस्त नक्षत्र में होते है, और अन्तिम एक दिनरात चित्रा नक्षत्र का होता
है । (६६१)
. अहो रात्रांस्ततः चित्रा नयेच्चतुर्दशादिमान् ।
वैशाखस्य पंचदश स्वातिरन्त्यं विशाखिका ६६२॥
वैशाख के पहले चौदह दिन-रात चित्रा में होते है, फिर पंद्रह दिन रात स्वाति नक्षत्र के होते है और अन्तिम अहोरात विशाखा का होता है । (६६२)
समापयत्यथा ज्येष्टे विशाखाद्यांश्चतुर्दश ।
सप्तानुराधा ज्येष्टाष्टौ मूलः पर्यन्तवर्तिनम् ॥६६३॥
ज्येष्ठ महिने मेंपहले चौदह अहोरात पूर्ण होने तक विशाखा नक्षत्र होता है, फिर सात दिनरात अनुराधा पूर्ण करती है, उसके बाद आठ दिनरात ज्येष्ठा पूर्ण करता है, और अन्तिम दिन रात मूल नक्षत्र होता है । (६६३) .. . मूलः समापयत्याद्यानाषाढस्य चतुर्दश ।
पूर्वाषाढा पंचदशोत्तराषाढान्त्यवर्तिनम् ॥६६४॥
अषाढ के पहले चौदह अहोरात्रि मूलनक्षत्र में होते है, फिर पंद्रह दिन-रात तक पूर्वाषाढा होता है, और अन्तिम एक दिन-रात तक उत्तराषाढा नक्षत्र रहता है। (६६४)
संग्रहश्चात्र - सत्तट्ठ अभिसवणे तह सयभिसएय पुव्वभहवए। अद्दा पुष्णव्वसूए राहा जेठाय अणुकम सो ॥६६५॥ . पन्न रसदिणे सेसा रत्तिविरामं कुणंति णवत्ता। उत्तरसाढा आसाढ चरिमदिवसा गणिझंति ॥६६६॥ ..
पूर्व में सब का संग्रह इस प्रकार से है :- १- अभिजित् और श्रवण २शततारा और पूर्व भाद्रापद, ३- आर्द्रा और पुनर्वसू तथा ४- अनुराधा और ज्येष्ठा इस तरह चार नक्षत्र युगल में से पहले-पहल चार, सात दिन रात संपूर्ण करते हैं, और दूसरे दो, चार, आठ अहोरात पूर्ण करते है, शेष नक्षत्र पंद्रह अहोरात्रि पूर्ण करते है। उत्तराषाढा आषाढ मास का अन्तिम दिन गिना जाता है । (६६५-६६६)