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________________ ( xlviii) सं. क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक सं० । सं० सं० करते नक्षत्र | ७६६ (१३) नक्षत्रों के आकार का ६२५ ७५३ चार नक्षत्रों का चन्द्रमा के साथ ५६० वर्णन, रत्न माला ग्रन्थ के आधार पर योग | ७७० (१४) नक्षत्रों का सूर्य चन्द्रमा ६४४ ७५४ चन्द्रमा के साथ में किन-किन ५६४ के साथ संयोग-काल का मान नक्षत्रों का योग होता है, कौन-कौन |७७१ रत्नमाला ग्रन्थ के आधार पर ६४१ योग बनते है नक्षत्रों का आकार ७५५ प्रमर्द योग के विषय में . ५६६/७७२ चन्द्रमा के साथ संयोग काल मान ६४४ ७५६ मंडल छेद के विषय में . ५७१/७७३ संयोग काल कहने का प्रयोजन ६४८ ५७ मंडलों में नक्षत्र अंशों की कल्पना५७४ | ७७४ सूर्य के साथ में संयोग काल मान ६५० ७५८ उसकी शंका का समाधान ५७६ | ७७५ (१५) नक्षत्रों के कुल आदि के ६६१ ७५E मंडल छेद की उपपत्ति - ५७६ । विषय में ७६० तीन प्रकार के नक्षत्रों के नाम ५८०७७६ कुल आदि का प्रयोजन ६६६ ___और उनका विवरण | ७७७ (१६) अमावस्या व पूर्णिमा योग . ७६१ सत्र क्षेत्री नक्षत्रों के अंश ५८५ । के विषय में ६६७ ७६२ अर्द्ध क्षेत्री नक्षत्रों के अंश · ५८६/७७८ (१७) एक वर्ष में प्रत्येक, ६७८ ७६३ स्वार्द्ध क्षेत्री नक्षत्रों के अंश ५८७ महीने में कौन-कौन नक्षत्र कितने ७६४ मंडल छेद का मान ५६१ कितने अहोरात्र तक होता है। उसका ७६५ मुहुर्त-गलि-योजन के सम्बध ५६६ क्रम वार वर्णन . . में करण | ७७६ नक्षत्रों का प्रयोजन ६६४ ७६६ नक्षत्रों की अंशात्मक मुहुर्त गति |७८० ग्रहों के विषय में ७०० का करण ७८१ ग्रहों की ८८ संख्या तथा उनके ७०१ ७६७. (११) देवता के विषय में- ६१५ नाम ...देवताओं के नाम | ७८२ सूर्य-चन्द्र-ग्रह नक्षत्र तथा तारों ७१६ ७६८ (१२) हर एक नक्षत्र व तारों ६२३ | का वर्णन की संख्या, तारा शब्द का विस्तार |७८३ सर्ग समाप्ति से कथन ७१८
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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