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सं०
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क्र०, विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक
सं० | सं० ६६६ रात्रि का बड़ा व छोटा होना ७६ ६८६ दृष्टान्त पूर्वक उसकी उपपत्ति १२८ ६७० दिन का थोड़ा होने का कारण ७७/६८७ सूर्य के आतप की आकृति १३६ ६७१ रात की लम्बी होने का कारण ८०६८८ आतप क्षेत्र की लम्बाई १४५ ६७२ दक्षिणायन की पूर्णता से अहोरात्रि ८२६८६ सूर्य के ताप क्षेत्र की चौड़ाई १५१ की संख्या
६१० ताप क्षेत्र की अनवस्थिता का १५६ ६७३ दिन मान की कई संक्रान्तियाँ ८८ कारण
कितने पल की होती है . ६६१ अन्धकार केविषय में और ६७४ सूर्य संवत्सर की पूर्णता बताने ६३/ उसकी आकृति वाले दिन
६६२ मकर संक्रान्ति में सूर्य का आतप १७१ ६७५ वर्ष में बड़े से बड़े दिन की ६४ क्षेत्र तथा अन्धकार का स्वरूप व्यवस्था
६६३ सूर्य की किरणों का ऊर्ध्व ताप १८० ६७६ वर्ष में कम से कम दिन की ६४/६६४ सूर्य की किरणों के नीचे ताप १८१ व्यवस्था
६६५ सबसे अन्दर के मंडल में रहे १८३ ६७७ वर्ष में कम से कम रात्रि की ६५ सूर्य की किरणों का विस्तार व्यवस्था .
६६६ सर्वथा बाहर के मंडल में रहे १८७ ६७८ जिस दिशा में रात्रि होती है उसके ६८ सूर्य की किरणों का विस्तार - दूसरे तरफ क्या होता है इसका । ६६७ हर एक मंडल की परिधि . विवरण ..
६६८ प्रत्येक मंडल में सूर्य की २१० ६७६ वास्तव में अहोरात्र के मुहुर्तों १०२ प्रत्येक मुहुर्त में गति । की संख्या लोक रूढ़ि के प्रमाण ६६६ दृष्टि पथ प्राप्ति
२२३
७०० सूर्य के उदय तथा अस्त के २३४ ६८० पितृ-देव-ब्रह्मा के अहोरात्र के १०३/ बीच में अन्तर योजन में
७०१ सूर्य उदयास्त समय दूर होते हुए २६६ ६८१ रात्रि दिन छोटे-बड़े होने १०४-१०५ नजदीक कैसे?
केविषय में शंका तथा समाधान |७०२ उसके अर्द्ध मंडल की स्थिति २७३ ६८२ उसके कारण तथा करण १०७ के विषय में ६८३ चार प्रारूपण दश विभाग को १२६/७०३ चन्द्रमा गति के विषय में ३०४ कल्पना
|७०४ चन्द्रमा के मंडलों का क्षेत्र . ३०७ ६८४ दो-दो विभाग को सूर्य प्रकाश १२६/७०५ मंडलों के अन्तर की उपपति ३१३
|७०६ चन्द्रमा के मंडलों की अबाधा ३२८ ६८५ दशांश की वृद्धि-हानि के विषय १२७/७०७ चन्द्रमा के हर मंडल में परस्पर ३३६
अन्तर
१६२
- . विषय में.
..
देता है