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(xiv)
क्र० विषय
श्लोक | क्र. विषय श्लोक सं० सं० | सं०
सं० ६३१ जम्बूद्वीप के सब कुंड़ों की संख्या १६० सूर्य मंडल के क्षेत्रों के विषय में ६३२ उनके मान आदि
१६१/६५१ क्षेत्र का स्पष्टीकरण ६३३ उनके कुंड़ का स्वरूप १६२/६५२ मंडल क्षेत्र का विस्तार ८ ६३४ जम्बूद्वीप में आये सब र्तीथों की १६४/ सूर्य मंडलों की संख्या के विषय में । संख्या
६५३ सूर्य मंडलों की संख्या - १७ ६३५ वैताढ्य की सब गुफाओं की १६५/६५४ सूर्य के मंडलों का योजन. १६ संख्या
६५५ मंडलों के विषय के व्यवस्था २२ ६३६ वैताढ्य के ऊपर आये सब १६६/६५६ इन मंडलों के क्षेत्र ऊपर विस्तार, २४ नगरों की संख्या
। स्थान ६३७ जम्बूद्वीप में आये विजयों की १६७/६५७ दोनों अयनों में सूर्य की आभा के २८ संख्या
| विषय में ६३८ जम्बूद्वीप में जघन्य-उत्कृष्टता २००/६५८ सूर्य का उदय व अस्त कैसे? ३१
से तीथकर चक्रवर्ती-बलदेव- ६५६ सूर्य के उदय व अस्त की ३२ वासुदेव की संख्या
अनिश्चितता ६३६ जम्बूद्वीप में निधानों की संख्या २०२/
मण्डलों की अबाधा प्ररूपणा ६४० उनके मिलने का समय तथा २०३ ६६० अनेक प्रकार स्वामी
६६१ (१) ओघ से अबाधा के विषय में ४५ ६४१ रत्नों का उपयोग
२०४ ६६२ (२) प्रत्येक मंडल की अबाधा के ५३ ६४२ जम्बूद्वीप के ग्रह-नक्षत्र-सूर्य- २०५ | विषय में चन्द्र की संख्या
६६३ (३) मंडल-मंडल की परस्पर ६० ६४३ जम्बूद्वीप के तारों की संख्या २०७
अबाधा ६४४ तारों के सम्बंध में विशेष ६६४ (४) मंडलों के अन्तर के विषय ६३
विवरण व मतान्तर ६४५ जम्बूद्वीप की उपमा २०८/ मंडलों की गति के विषय में ६४६ सर्ग समाप्ति
२०६/६६५ उसके सात द्वारों के नाम ६४ बीसवां सर्ग | प्रथम द्वार ६४७ जम्बूद्वीप में स्थित-सूर्य-चन्द्र १६६६ वर्ष में सूर्य की मंडलों में गति ६८ की गति
संख्या - दूसरा द्वार . ६४८ सूर्य की मुख्या कैसे है? २६६७ वर्ष में हमेशा की रात्रि व दिन का ७५ ६४६ पांच अनुयोग द्वारों के नाम ३] प्रमाण . . ६५० अंशों का विवरण
६६६८ दिन का बड़ा व छोटा होना ७६
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