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नाम
१४७
| क्र. विषय श्लोक | क्र०. विषय श्लोक | |सं० . . सं० । सं०
सं० ५८८ इससे निकलती तीन नदियों के ८०/६११ सब मिलाकर पर्वतों की संख्या १३७
६१२ सबके अलग-अलग शिखरों की १४१ ५८६ (१) स्वण कूला नदी के निकलने ८१ संख्या
से समुद्र मिलन तक वर्णन ६१३ परस्पर समानता वाले शिखरों के १४४ ५६० (२) रक्ता नदी के निकलने से ८५] नाम
समुद्र मिलन तक वर्णन ६१४ सब मिलाकर शिखरों की संख्या १४६ ५६१ (३) रक्तवती नदी के निकलने ६२/६१५ सब ऋषभ कूटों की संख्या
समुद्र मिलन तक वर्णन . ६१६ सब भूमि कूटों की संख्या १४८ ५६२ ऐवत क्षेत्र ।
६१७ बड़े सरोवरों की संख्या १५० ५६३ ऐरवत क्षेत्र का स्थान
/६१८ उनकी आपस में समानता १५१ ५६४ इसके नाम की सार्थकता १०० ६१६ सब सरोवरों की संख्या १५१ ५६५ भरत क्षेत्र के साथ में समानता १०१/६२० उन सरोवरों के स्वामियों के नाम: १५२ ५६६ इसके जीवा-शर आदि का मान ११० ऋद्धि आदि ५६७ इसके वैताढ्य की लम्बाई आदि ११२/६२१ यहाँ की १४ महानदियों के नाम १५३ -५४८ उसके ऊपर स्थित नगर ११३/६२२ उनके निकलने तथा बहने के १५७ '५६६ वन वेदिका-श्रेणि आदि ११४
। स्थान ६०० इस क्षेत्र के छ: खंड - ११५/६२३ उन नदियों के प्रत्येक के परिवार १६८ • ६०१ मध्य खंड का स्थान तथा नगरी ११६ की संख्या ... का स्थान
६२४ सब नदियों के परिवार की सर्व १७४ ६०२ आर्य-अनार्य की व्यवस्था - ११६ संख्या ६०३ जम्बू द्वीप के क्षेत्रों के कर्म- १२१/६२५ अन्तर नदियों के मतान्तर के पाठ . .. अकर्म भूमि के विभाग
विषय में .६०४ छ: वर्षधर पर्वतों की विशेषता- १२६ ६२६ सीता-शीतोदा नदियों के परिवार समानता
की संख्या ६०५. उनके शिखरों की संख्या तथा १२७/६२७ दक्षिण सम्मुख बहने वाली १८० .. समानता
। नदियों के नाम ६०६ सब वैताढ्य पर्वतों की संख्या १२६/६२८ उत्तरा सम्मुख बहने वाली नदियों १८१ ६०७ सब वृत वैताढय पर्वतों की संख्या१३१ / | के नाम ६०८ सब कांचन पर्वतों की संख्या १३२/६२६ उनके मुख्य विस्तार आदि. १८४ ६०६ गजदंत पर्वतों की संख्या १३४/६३० एक स्थान से दूसरे स्थान पर १८४ ६१० वक्षस्कार पर्वतों की संख्या १३६ पहुंचने में वृद्धि बताने के करण
पाठ