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________________ (४२३) महाविदेह क्षेत्र में तीन मुहुर्त दिन शेष रहता है, तब भरत और ऐरवत क्षेत्र में सूर्य का उदय होता है । (१०६-११०) एवं च - . स्यात् भरतैरवतयोः अह्नोऽन्त्यं तत्क्षणत्रयम । ज्येष्टेऽहनि तदेवाद्यं पूर्वापरविदेहयोः ॥१११॥ दिने गुरौ यदेवाद्यं पूर्वा परविदेहयोः । तत् भरतैरवतयोरह्नो ऽन्त्यं स्यात्क्षणत्रयम् ॥११२॥ इस तरह से, भरत और ऐरवत क्षेत्र में उत्कृष्ट दिन के अन्तिम तीन मुहूर्त है, वही पूर्व और पश्चिम महाविदेह क्षेत्र के दिन के पहले तीन मुहूर्त होता है । और पूर्व तथा पश्चिम महाविदेह में उत्कृष्ट दिन के पहले तीन मुहूर्त होता है, तब भरत व ऐरवत क्षेत्र के दिन का अन्तिम तीन मुहूर्त होता है । (१११-११२) तथा – अष्टादश मुहूर्ता स्यात् यदोत्कृष्टा निशा तदा । तन्मूहूर्तत्रयेऽतीते भवेदकॊदयः पुरः ॥११३॥ तथा जब रात्रि बड़ी में बड़ी अठारह मुहूर्त की होती है उस समय उसके तीन मुहूर्त व्यतीत होने के बाद के आगे के भाग में सूर्योदय होता है । (११३) । तथाहिं - पूर्वापर विदेहेषु भानोरस्तात् त्रिभिः क्षणैः । . . स्यात् भरतैरवतयोः तरणेरूदयः खलु ॥११४॥ . . भरतैरवत योश्च भानोरस्तादनन्तरम् । ... त्रिभिः क्षणैः स्यात् प्रत्यूषं पूर्वापर विदेहयोः ॥११५॥ वह इस तरह -पूर्व और पश्चिम महाविदेह में सूर्य अस्त होता है, उसके बाद तीन मुहूर्त में भरत और ऐरवत क्षेत्र में सूर्य उदय होता है । और भरत तथा ऐरवत में सूर्य अस्त होता है, उसके बाद तीन मुहूर्त में पूर्व और पश्चिम महाविदेह में सूर्य का उदय होता है । (११४-११५) 'क्षण शब्दश्चात्र प्रकरणे मुहूर्त्तवाचीति ध्येयम् ॥" इस प्रकरण में क्षणशब्द मुहूर्तवाची लेना चाहिये । तथा च - भवेद्विदेहयोराद्यं यन्मुहूर्त त्रयं निशः । स्यात् भरतैरवतयोः तदेवान्त्यं क्षयत्रयम् ॥११६॥
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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