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(३६४) रूप्य कूला स्वर्ण कूला रोहिता रोहितांशिकाः। अष्टाविंशत्यासहस्त्रैः स्रोतस्विनीभिराश्रिताः ॥१७॥ नारीकान्ता नरकान्ता हरिकान्ता हरिस्तिथा । षट्पंचाशच्छैवलिनी सहस्रैः परिवारिताः ॥१७२॥ . शीता शीतोदयोनद्योः प्रत्येकं च परिच्छदः । पंचलक्षाः सहस्राणि द्वात्रिंशत् परिकीर्तितः ॥१७३॥
गंगा, सिन्धु रक्तवती और रक्ता ये चार नदियां चौदह-चौदह हजार नदियों के परिवार वाली है । रूप्यकूला, स्वर्णकूला रोहिता और रोहितांशा इन चार नदियों के प्रत्येक को अट्ठाईस हजार नदियों के परिवार है। नारीकान्ता, नरकान्ता हरिकान्ता ये चार छप्पन हजार नदियों के परिवार वाली हैं। जबकि शीता और.शीतोदा नदियां प्रत्येक को पांच लाख बत्तीस हजार नदियों के परिवार. वाली कहा है। (१७०-१७३)
श्लोक क्रमेण सरितामिह श्लोक चतुष्टये । द्विगुणं जिव्हिकामानं विस्तारो द्वद्धतादिकम् ॥१७४॥ एक श्लोकोदितानां तु सर्वं तुल्यं परस्परम । गंगासिन्धुरक्तवतीरक्तानां तुल्यता यथा ॥१७॥
इन चारों श्लोकों में वर्णन किये नदियों के जिह्वा, चौड़ाई, ऊंचाई आदि का प्रमाण पूर्व-पूर्व के श्लोकों में वर्णन किए, दो गुना नदियों से उत्तर-उत्तर श्लोक में वर्णन किये नदियों का अनुक्रम से दो गुना है । एक ही श्लोक में कहा, चार का जैसे कि गंगा सिन्धु रक्तावती और रक्ता का तो सर्वप्रमाणे एक समान है । (१७४१७५)
दश लक्षाश्चतुः षष्टिः सहस्राणि विदेहागाः । . नद्योऽपाच्यां लक्षमेकं षण्णवति सहस्रयुक् ॥१७॥ उदीच्यामपि तावत्य एवं च सर्वसंख्यया । षट् पंचाशत्सहस्राढया नदीलक्षाश्चतुर्दश ॥१७७॥
महाविदेह क्षेत्र में दस लाख चौसठ हजार नदियां है, इसके दक्षिण में एक लाख छियानवें हजार नदियां है, और उतनी संख्या इसके उत्तर दिशा में है । अतः सब मिलाकर कुल चौदह लाख छप्पन हजार नदियां हैं । (१७६-१७७)