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गंगा, सिन्धु और रोहिताशा नाम की तीन नदियां हिमवान पर्वत के पद्मसरोवर में से निकलती हैं । रोहिता और हरिकान्ता नाम की दो नदियां, महाहिमवंत पर्वत के महापद्म सरोवर से निकलती है, हरि और शीतोदा नाम की दो, निषधाचलपर्वत के तिगिंछ सरोवर में से निकलती है । शीता और नारीकान्ता नाम की दो नदियां नीलवान पर्वत के केसरी सरोवर में से निकलती है । नरकान्ता और रूप्यकूला नाम की दो नदियां रुक्मी पर्वत के महापुण्डरीक सरोवर में से निकलती है । और रक्ता, रक्तावती और स्वर्णकूला ये तीन नदियां शिखरी पर्वत के पुण्डरीक सरोवर में से निकलती है । (१५६-१६४)
एवं च -. तिस्रो नद्यो हिमवतस्तिस्रः शिखरिणो गिरेः । शेषवर्षधरे रम्यश्न महानद्यो द्वयं द्वयम् ॥१६५॥
इस तरह से हिमवंत और शिखरी पर्वत में से तीन-तीन नदियां और शेष वर्षधर पर्वतों में से दो-दो नदियां निकलती हैं । (१६५)
वर्षाण्याश्रित्य सरितः प्रतिवर्ष द्वयं द्वयम् ।
द्वे विदेहेष्वपाच्यां षट् पडुदीच्यां ततो यथा ॥१६६॥ .: गंगा सिन्धुश्च भरते रोहिता रोहितांशिके । हैमवते हरिवर्षे हरिकान्ता हरि उभे ॥१६७॥
शीता शीतोदे विदेहक्षेत्रे तथा च रम्यके । • नारीकान्ता नरकान्ते हैरण्यवतगे उभे ॥१६८॥ रूप्यकूला स्वर्ण कूले तथा चैखतस्थिते । नद्यौ रक्तारक्तवत्यावेव मेताश्चतुर्दशः ॥१६६॥
क्षेत्र की अपेक्षा से प्रत्येक क्षेत्र में दो-दो नदियां है, दो विदेहों में दो और इसकी दक्षिण में छः तथा उत्तर दिशा में छः है । अर्थात् गंगा और सिन्धु भरत क्षेत्र में है, रोहिता और रोहितांशा, हैमवंत क्षेत्र में है, हरिकान्ता और हरि सलिला, हरिवर्ष क्षेत्र में है, शीता और शीतोदा दोनों विदेह क्षेत्र में है, नारिकान्ता और नरकान्ता, रम्यक् क्षेत्र में है, रूप्यकूला और स्वर्णकूला हैरण्यवंत क्षेत्र में है तथा रक्त और रक्तावती नदी ऐरवत क्षेत्र में है इस तरह कुल चौदह नदियां है । (१६६-१६६).
गंगा सिन्धु रक्तवती रक्तानां सरितामिह । चतुर्दश सहस्राणि परिवारः प्रकीर्तितः ॥१७॥