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क्र०
सं०
विषय
४६६ इन शिखरों की मूल लम्बाईचौडाई
श्लोक
सं०
पांढक वन के विषय में
(xlii)
क्र०
सं०
५०० इस नन्दनवन का विशेष उपयोग ५०१ सौमनस वन के विषय में
५०२ सौमनस वन का स्थान ५०३ वन का बाह्य विस्तार ५०४ उसकी विवरण सहित स्थापना ५०५ इस वन की चौड़ाई
५०६ बावड़ी - प्रसाद का नाम पूर्वक १८६ ५२७ दूसरी शिला के बारे में
वर्णन
५२८ उनका सर्व वर्णन
नाम
५१६ प्रासादों के स्वामियों के नाम ५१७ अभिषेक शिला के बारे में
५१८ इन शिलाओं के नाम
५१६ प्रथम का स्थान निश्चय ५२० उसकी लम्बाई-चौड़ाई - आकार आदि
१६३ ५२२ वेदिका से शोभती शिला की २१६
उपमा
शिला ऊपर रहे दो सिंहासन के २२० विषय में
विषय
१७२
१७४
१७४ ५२४ उन सिंहासनों के मान आदि का २२२ वर्णन
५२३
नाम
५१५ वायव्य कोण की बावड़ियों के २०६
. ५०७ पांढक वन का स्थान ५०८ इसकी चौड़ाई. ५०६ इसकी चौड़ाई का ज्ञान ५१० इस वन का घेराव
•
५११ सिद्ध मन्दिर - बावड़ी - प्रासाद आदि२०१५३४
बावड़ियों के नाम
५१२ ईशान कोण की बावड़ियों के नाम२०३ ५१३ अग्नि कोण की बावड़ियों के नाम२०४ ५१४ नैऋत्य कोण की बावड़ियों के २०५
१७७
१७६ ५२५ इन सिंहासनों का उपयोग क्या है? २२३ १८२ ५२६ उसके कारण दिखाने वाला वर्णन २२५
२३०
२३१
२३६
२३७
२४१
२४२
२४६
२४७
५२६ तीसरी शिला के विषय में १६४ ५३० उनका सब वर्णन
१६६ ५३१ चौथी शिला के विषय में १६७ ५३२ उसका सब वर्णन
१६६ ५३३ सब सिंहासनों की संख्या
श्लोक
सं०
एक साथ र्तीथंकरों के जन्माभिषेक के विषय में
५३५ चूलिकाओं का वर्णन
२५०
५३६ ऊँचाई आदि सब विवरण पूर्वक २५२ वर्णन
५३७ मेरू पर्वत के अलग-अलग नाम २६६ ५३८ मेरू नाम की सार्थकता २७२ ५३६ महाविदेह में जघन्य-उत्कृष्टता- २७६ र्तीथकर - चक्रवर्ती - वासुदेव -बलदेव
५४० सर्ग समाप्ति
२७८
२०७
२०६
२१०
२११ ५४१ नीलवान पर्वत
२१२ ५४२ नीलवान पर्वत का स्थान आदि ५४३ इसके नाम की सार्थकता
५२१ इन शिलाओं की खड़ाई - सीढ़ियाँ २१६ ५४४ इसके स्वामी देव की राजधानी
आदि
आयुष्य आदि
उन्नीसवां सर्ग
१
१
२
३