________________
(xl)
मं०
सं०
४१७
४२१
क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक
सं० । सं० ४१२ उनकी सभा-सैन्य-सेनापती की ३६७/४३५ इन सरोवरों के कमल तथा आदि ४०६ संख्या
|४३६ इन सरोवरों के स्वामियों की ४११ ४१३ राजधानी के स्थान
३६६ राजधानी स्थान सौमनस पर्वत के विषय में ४३७ सरोवरों-पर्वतों आदि के परस्पर ४१३ ४१४ सौमनस पर्वत का स्थान ३७१ अन्तर | ४१५ इस सौमनस नाम की सार्थकता ३७२ | ४३८ इस क्षेत्र के शाल्मली वृक्षों का ४१६ ४१६ इसके आकार आदि के विषय में ३७३] स्थान ४१७ इसके सात शिखरों के नाम ३७४|४३६ उनकी रचना आदि ४१८ इसके शिखरों के स्थान . ३७६४४० उनके स्वामी देवों के विषय में ४१६ ४१६ उनके स्वामी-देव-देवियों के
305|४४१ यहाँ के मनुष्य तिर्यंच आदि के ४२० .. विषय में
शरीर का मान आदि ४२० इनकी राजधानियों के स्थान ३८०/४४२ इस क्षेत्र का काल मान . विद्युत्प्रभ पर्वत के विषय में .
४४३ सर्ग समाप्त
. ४२२ ४२१ विद्युत्प्रभ पर्वत का स्थान
अठारहवाँ सर्ग ४२२ इसके नाम की सार्थकता
४४४ पार्श्व भगवान की स्तुति ४२३ इसके नौ शिखरों का नाम . ३८३
मेरू पर्वत का वर्णन ४२४ उनकी लम्बाई आदि मान
४४५ मेरू पर्वत का स्थान ४२५ इसके कूटों के स्वामी की
४४६ उसकी विशिष्ट उपमायें
४४७ उसकी उंचाई .... राजधानी के विषय में '४२६ उनके स्वामियों के नाम
४४८ चूलिकाओं की ऊँचाई ४२७ यहाँ की दिग् कुमारियों के कार्य
४४६ मूल का विस्तार
४५० इसके मूल की परिधि आदि । ४२८ इस पर्वत की लम्बाई-चौड़ाई ३६६
४५१ ऊपर चौड़ाई का मान '... दैव कुरू के विषय में
४५२ इसके भूतल के घेराव का मान २० ४२६ देव कुरूं का स्थान
३६०४५३ इसके ऊपर के घेराव का मान ४३० इस नाम की सार्थकता
३६८४५४ इच्छित स्थान की चौड़ाई ४३१ इसके विष्कंभ आदि
निकालने के कारण ४३२ चित्र-विचित्र कूटों के स्थान-मान ४०१/४५५ उस पर दृष्टान्त आदि
४५६ दूसरा करण ४३३ उनके स्वामी देवों की राजधानी ४०३/४५७ उसका दृष्टान्त के विषय में
४५८ व्यास ऊपर की उँचाई निकालने ३२ ४३४ इस क्षेत्र के पाँच सरोवरों के नाम ३०४ का करण