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________________ (३४६) उदीच्य सिद्धायतनात् प्रतीच्यामथ पूर्वतः । 'प्रासादाद्वायु कोणस्थात् कूटं सागरचित्रकम् ॥१८॥ सागर चित्रक नाम का सातवां शिखर है; उत्तर तरफ के सिद्ध मंदिर से पश्चिम और वायव्य कोने के प्रासाद से पूर्व में आया है । (१५८) बलाहका तत्र देवी मेरोरूत्तरतः पुनः । जम्बू द्वीपेऽन्यत्र तस्या राजधानी जिना जगुः ॥१५॥ उस शिखर पर बलाह का नाम की देवी है और उसकी राजधानी जम्ब द्वीप में मेरु पर्वत की उत्तर दिशा में आई है । (१५६) उदीच्य सिद्धायतनात् प्राच्यां वायव्य कोण जात्। प्रासादात् पश्चिमायां च वज्र कूटमिहान्तरे ॥१६॥ वसेना तत्र देवी राजधानी सुमेरूतः । उत्तरस्यामन्य जम्बू द्वीपे ज्ञेया यथागमम् ॥१६१॥ आठवां वज्र कूट नाम का शिखर है, वह उत्तर तरफ के सिद्धायतन की पूर्व में और वायव्य कोने के प्रासाद की पश्चिम में रहा है। (१६०) उस शिखर पर वज्र सेना नाम की देवी निवास करती है और उसकी राजधानी भी अन्य जम्बू द्वीप में मेरुपर्वत की उत्तर दिशा में आई है । ऐसा आगम में कहा है । (१६१) अयं तावत् क्षेत्र समास बृहद् वृत्यभिप्रायः ॥जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रे च सागर चित्रकूटे वज्रसेनादेवी वज्रकूटे बलाहका देवी पठयते इति ज्ञेयम्॥तथा क्षेत्र समासं सूत्रे वारिसेण इति पाठः । किरणा वल्यादा वपि वारिषेणा इति । जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रे वइरसेणा इति ॥बृहत्क्षेत्र समास वृत्तौ च वज्र सेना इति नाम । इति ज्ञेयम् ॥. . यह जो मैने कहा है वही प्रमाण क्षेत्र समास की बड़ी टीका में भी कहा है। परन्तु जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र में तो सागर चित्र शिखर पर वज्र सेना देवी और वज्रकूट शिखर पर बलाहका देवी कही है । क्षेत्र समास में वारिसेणा' ऐसा पाठ है । किरणावली आदि में 'वारिसेणा' ऐसा पाठ है । जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र में वइरसेणा' ऐसा पाठ है और बृहत्क्षेत्र समास की टीका में 'वज्रसेना' ऐसा पाठ आया है। एता अष्टाप्यूर्ध्वलोकवासिन्यो दिक्कुमारिकाः । सुगन्थ्यम्बुषुष्पवृष्टि कुर्वन्ते जिन जन्मनि ॥१६२॥
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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