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क्र०
सं०
विषय
३२६ शिखरों के नाम व स्थान
३२७ हरिस्सह शिखर के विषय में
विशेष
श्लोक
सं०
बागीचा
३३१ उनकी आकृति के विषय में ३३२ उत्तर कुरु क्षेत्र के विषय में • ३३३ उत्तर कुरू क्षेत्र का स्थान
( xxxviii )
३५०
३२८ इन शिखरों के स्वामिओं के नाम २०४ ३५१
आयुष्य
-३३६ इस क्षेत्र के नाम की सार्थकता ३३७ इसका विस्तार तथा मान .. ३३८ इसके विस्तार की उपपति
३३६ उसकी जीवा का मान
३३४ उसका मान तथा आकार
२१७
३३५ उसके स्वामी देव का नाम तथा २१६
अल्पता
३४४ उनकी जाती के भेद तथा नाम ३४५ उनके आहार का अन्तर तथा
१६२३४६ यहाँ का कालमान
१६७
प्रमाण
३४६ उनका अपत्य पालन तथा गति ३४७ इसकी पृथ्वी की विशेषता ३४८ यहाँ र्तियंच के विषय में विशेष
विवरण
३४० उसका घनुपृष्ठ ३४१ यहाँ की जमीन की सुन्दरता ३४२ यहाँ के युगलियों की आयुः स्थिति
. ३४३ उनकी पाँसली तथा कषाय की २३०
क्र०
सं०
२१६
२२०
२२२
२२३
२२५
२२७
२२६
व आयुष्य
आकार
२४३
३२६ गंध मादन व माल्यवान पर्वत की २०६ ३५२ उसकी चौड़ाई - लम्बाई आदि ३५३ उसके निकट पद्मवेदिका आदि ३४५ का वर्णन
लम्बाई-चौड़ाई
३३० इन पर्वतों पर पद्म वेदिका तथा २१४
२१५
३५४ उसमें स्थित महलों की ऊँचाई ३४६ आदि का मान २१५ ३५५ उसके स्वामी देवों के विषय में ३४७ ३५६ उनकी राजधानी के विषय में २४८ ३५७ कुंड तथा पर्वतों के परस्पर अन्तर २५२ ३५८ पाँच सरोवरों के विषय में
२१५
२५३
२५५
३५६ प्रथम सरोवर का नाम तथा सार्थकता
२३१
२३२
विषय
यमक पर्वत के विषय में
यमक पर्वत का स्थान उसके नाम की सार्थकता तथा
३६० दूसरे सरोवर का नाम तथा सार्थकता
३६१ तीसरे सरोवर का नाम तथा
सार्थकता
३६२ चौथे सरोवर का नाम तथा सार्थकता
३६३ पाँचवें सरोवर का नाम तथा सार्थकता
३६८
श्लोक
सं०
३६४ उसकी आकृति
३६५ उसकी लम्बाई-चौड़ाई आदि ३६६ इन सरोवरों के स्वामियों की राजधानी के विषय में
२३८
२४०
२४१
२५६
२५७
२५८
२५६
२६२
२६५
२६६
२३३
२३४ | ३६७ इस पर्वत सरोवर के कांचन पर्वत २६६ :
२३५
के विषय में
उसकी संख्या तथा प्रमाण
२७०