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( xxxvii)
सं०
क्र० विषय
श्लोक | क्र० विषय श्लोक | सं० । सं०
. सं० २८१ उस पर स्थित कुंड़ तथा १०२/३०३ सीता के उत्तर किनारे की अन्तर १५०
निकलती नदियों का विवरण । नदियों के नाम २८२ शीतोदा के उत्तर के वृषभायल १०४ | ३०४ उसके दक्षिण किनारे की नदियों १५१ के विषय में
के नाम २८३ उसमें रहे कुंड़ तथा निकलती १०५३०५ शीतोदा के दक्षिण किनारे की १५१ नदियों का वर्णन
नदियों के नाम २८४ सब वृषभायल की संख्या |३०६ शीतोदा के उत्तर किनारे की . १५२ २८५ सब गंगा सिन्धु नदियों का - नदियों के नाम .... स्वरूप
३०७ इन नदियों के कुंड़ के स्थान. १५३ २८६ र्तीथ का स्वरूप
३०८ इन कुंड़ों की लम्बाई-चौड़ाई- १५४ २८७ दक्षिणार्द्ध के मध्य खंड के - गहराई तथा विष्कंभ ...
विजयों की राजधानी के नाम | ३०६ इन कुंड़ों के द्वीपों के नाम . १५५ २८८ उसके दक्षिण उत्तरार्द्ध की ११७/३१० इन द्वीपों की लम्बाई-चौड़ाई- १५७ विजयों की राजधानी के नाम
ऊँचाई व विष्कंभ . २८६ शीतोदा के दक्षिण उत्तराद्ध की ११६/३११ द्वीपों के मध्य भाग के भवनों १५६
. विजयों की राजधानी के नाम | का वर्णन २६० उसके उत्तरार्द्ध की दक्षिणार्द्ध १२१ | ३१२. उनसे निकलती नदियों की १६१ विजयों की राजधानी के नाम
चौड़ाई व गहराई २६१ उसके मनुष्यों का देहमान .१२३|३१३ इनके विषय में मतान्तर पाठ २६२ उनकी आयु स्थिति
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|३१४ जगती पास के वनों का विवरण १६३ २६३ संघयण-संस्थान तथा गति १२४/३१५ गंध मादन पर्वत के विषय में १७७ २६४ काल मान
१२५ ३१६ गंध मादन पर्वत का स्थान १७७ २६५ सीता-शीतोदा के किनारों के देव १२७ ३१७ नाम की सार्थकता
१७८ गिरि तथा वक्षस्कार पर्वतों का वर्णन • ३१८ उसके शिखरों की संख्या
१८० २९६ इन पर्वतों के विष्कंभ-ऊँचाई-मान१३३/३१६ शिखरों के नाम व स्थान १८१ २१७ उनके आकार
१३५/३२० उन शिखरों के स्वामी १८६ २६८ इन पर्वतों के अधिष्ठाता देव १३७|३२१ उनकी राजधानियों के विषय में १८७ २६६ पर्वतों के शिखरों के विषय में १३८ ३२२ माल्यवान पर्वत के विषय में १८८ ३०० शिखरों के स्थान तथा नाम १३६/३२३ माल्यवान पर्वत का स्थान . १८८ ३०१ शिखरों का विशेष वर्णन १४८| ३२४ इस नाम की सार्थकता १८६ ३०२ अन्तर नदियों के विषय में १५०३२५ उसके शिखरों की संख्या १६१