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सं०
सं०
क्र० विषय श्लोक | क्र०. विषय
श्लोक | सं०
सं० २४० कमलों की चौड़ाई का मान ४२५/२६० उत्तर कुरू का स्थान २४१ उनकी स्वामिनियों के नाम व ४२६ | २६१ देव कुरू का स्थान आयु स्थिति
| २६२ पूर्व महाविदेह के दो भाग का ज्ञान २४२ मूल कमल की 'श्री' देवी के ४२६ / २६३ पश्चिम महाविदेह के दो भाग का २० भवन का मान
ज्ञान २४३ उसमें से निकली 'हरि सलिला' ४२७ / २६४ अनिदी-वक्षस्कार-विजय की २३ नदी का वर्णन
स्थापना २४४ सरोवर से निकल कर कर समुद्र ४२८ २६५ पश्चिम विदेह की विचित्रता ३१
में गिरने तक वर्णन . । | २६६ पूर्व विदेह के नदी-पर्वत तथा ४६ २४५ इसके भंवर-कुंड़ -द्वीप-प्रवाह ४३२ विजय के नाम
- आदि का वर्ण . | २६७ बत्तीस विजयों का संगम नाम ६१ २४६ शीतोदा नदी का उद्गम स्थान से ४३३ / २६८ उन विजयों का विष्कंभ ६६ समुद्र मिलन तक वर्णन
२६६ वक्षस्कार पर्वत की लम्बाई ६८ २४७. कुंड़ के पास में गहराई, निकलते ४३३ / २७० विजय-वक्षस्कार तथा नदी की ६६ चौड़ाई ..
४३३/ लम्बाई. . २४८ समुद्र में गिरते समय चौड़ाई . ४४२ / २७१ महाविदेह के वैताढ्य पर्वतों का ७३ २४६ कुंड की लम्बाई-चौड़ाई-ऊँचाई ४४५] वर्णन २५० द्वीप की लम्बाई -चौड़ाई-ऊँचाई ४४५ २७२ उनके ऊपर स्थित कूटों के नाम ८४ २५१. नीलवान पर्वत से केशरी सरोवर ४४६ / २७३ अर्द्ध कूटों की लम्बाई
८७ . . से निकली सीता नदी का समुद्र । | २७४ वृषभ कूट के विषय में ८८ . मिलन तक का वर्णन
| २७५ पर्वत के ऊपर गंगा तथा सिन्धु २५२ सर्ग समाप्ति.
४५५ कुंडों का वर्णन ... सत्रहवाँ सर्ग | २७६ उनका प्रवाह व परिवार आदि
- महाविदेह क्षेत्र का वर्णन | २७७ वृषभायल कूट के बारे में २५३ महाविदेह क्षेत्र नाम की सार्थकता
२७८ पर्वत ऊपर रक्ता व रक्तावती ८८ २५४ उसके 'विष्कंभ' तथा मान
- कुंड़ का वर्णन २५५ उसकी 'जीवा' तथा मान
| २७६ रक्ता व रक्तावती नदियों का ८६ २५६ उसके 'शर' तथा 'घनुपृष्ठ' का मान
प्रवाह व परिवार २५७ उसकी 'बाहा' का मान
| २८० शीतोदा के दक्षिण किनारे के १०१ २५८ उसके 'प्रतर' का गणित
आठ विजयों व वृषभायल पर्वत २५६ महाविदेह के चार विभाग
के विषय में
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