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________________ (३१५) है। और इस तीसरे से अग्नि कोण में पांचवे से उत्तर में चौथा शिखर है, और शेष तीन शिखर चौथे से दक्षिणोत्तर में एक साथ में आए है । (३७६-३७८) वत्समित्रा सुमित्राख्ये षष्ठपंचमकूटयोः । दिक्कुमार्यो कूटसमाभिधा देवाश्चतुषु च ॥३७६॥ . पांचवे और छठे शिखर पर सुमित्रा और वत्समित्रा नाम की दिक्कुमारियां रहती है, शेष शिखर पर उस उस शिखर के नाम वाले देव निवास करते है । (३७६) ____ "अत्र जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रे बृहत्क्षेत्र समासे सिरि निलय इति क्षेत्र समासादिषु च सौमनस पंचम षष्ठ कूट वासिन्यौ सुवत्सा वत्स मित्राख्ये एवं दिक्कुमार्यो उक्ते ॥ यत्तु जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रे एवं जिन जन्माधिकारे अधोलोक वासि नीनां भोगंकरादीनामष्टानां दिक्कुमारीणां मध्ये पंचमी तोयधारा षष्ठी विचित्रा चइति उक्तं तदयं लिखित दोषः नामान्तरं वा इति सर्व विद् वेद ॥" ___ इस विषय में जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र में, बूहत् क्षेत्र समास में तथा सिरि . निलय नामक क्षेत्र समास आदि में सुमित्रा और वत्स मित्रा के स्थान पर सुवत्सा और वत्समित्रा नाम कहा है, तथा जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र में ही जिन जन्म महोत्सव अधिकार में अधोलोक में रहने वाली 'भोगकरा' आदि आठ कुमारिका के अन्दर तो पांचवीं और छठी 'तोयधारा' और 'विचित्रा' ये नाम कहे है, वह कभी भूल से लिखा गया हो अथवा ये उनके दूसरे नाम ही वास्तविक है । वह केवली. भगवन्त ही जानें ।' . एतत्कटाधिपदेवदेवीनां मन्दराचलात् । दक्षिणस्यां राजधान्यो जम्बूद्वीपेऽपरत्र वै ॥३८०॥ इन शिखर के स्वामी देव, देवियों की राजधानियां दूसरे द्वीप में मेरू पर्वत के दक्षिण विभाग में है । (३८०) उत्तरस्यां निषधाद्रेः नैर्ऋत्यां कनका चलात् । पूर्वस्यां पक्ष्म विजयात् गिरिः विद्युत्प्रभाभिधः ॥३८१॥ दूसरा विद्युत्प्रभ नामक पर्वत निषध पर्वत से उत्तर में कनकाचल के नैऋत्य कोने में 'पक्ष्म' विजय से पूर्व दिशा में आया है । (३८१)
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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