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________________ (३१२) यह अभिप्राय जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र का है । परन्तु जिन भद्रगणि क्षमा श्रमण ने तो आठों जम्बू कूट, ऋषभकूट के समान कहे हैं। इसके अनुसार तो इनका माप, बारह, आठ और चार योजन कहलाता है । यह बात आचार्य श्री मलय गिरि ने भी स्वीकार की है । और जीवाभिगम सूत्र में भी इसी तरह कहा है । सत्य क्या है ? वह बहुश्रुत जाने। प्रत्येकमेषामुपरि चैकैकं सिद्धमंदिरम् । एतच्च जम्बू विडिमा सिद्धायतन सन्निमम् ॥३५६॥ ... इन आठ कूट के ऊपर एक-एक सिद्धायतन है । और वह जम्बू वृक्ष की बड़ी 'विडिमा' शाखा पर रहे सिद्धायतन के समान है.। (३५६) .. अष्टाप्येते पद्मवरवेदिका वनमंडिताः । .. .. दिगंगनानामष्टानां क्रीडायै निर्मिता इव ॥३६०॥ इन आठ कूट के चारों दिशाओं में मानो आठ दिशा रूपी स्त्रियों को क्रीड़ा करने के लिए निर्माण कार्य किया हो, ऐसें बगीचे और पद्म वेदिका है । (३६०) एव मुक्तस्वरूपाया अस्या जम्बा महातरोः । नामानि द्वादशै तानि प्रज्ञप्तानि जिनेश्वरैः ॥३६१॥ इस तरह से जिसका स्वरूप है, ऐसे उस महान जम्बू वृक्ष के जिनेश्वर भगवन्त ने बारह नाम कहे है :- (३६१) ... सुदर्शना तथा मोघा सुप्रबद्धा यशोधरा । भद्रा विशाला सुमनाः सुजाता नित्यमंडिता ॥३६२॥ विदेह जम्बूः नियता सौमनस्येति कीर्तिताः । रत्नमय्या अप्य मुष्या द्रुमेषु मुख्यतां विदुः ॥३६३॥ वह इस तरह - १- सुदर्शना, २- अमोघा, ३- सुप्रबुद्धा, ४- यशोधरा, ५- भद्रा,६- विशाला,७- सुमन,८-सुजात,६-नित्य मंडित, १०-विदेह जम्बू, ११- नियता और १२- सौमनस्या है। ये 'जम्बू' रत्नमय होने पर भी इन्हें सर्व वृक्ष शिरोमणि कहा है । (३६२-३६३) तथोक्तं बहुश्रुताध्ययने - जहा दुमाण पवरा जम्बू नाम सुदंसणा । अणाढीयस्स देवस्स एवं हवइ बहुस्सुए ॥३६४॥
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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