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(३१०) .. 'जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र में सिंहासन परिवार वाले कहा है जबकि जीवाभिगम सूत्र में परिवार बिना के कहा है ।'
अस्मिन्नेव वने पूर्वदिक्भाविभवनात् किल । .. उदीच्या दक्षिणस्यां चैशानीप्रासादशेखरात् ॥३४७॥
एकः कूटः द्वितीयस्तु प्राग्भाविभवनादितः । दक्षिणस्यामुदीच्यां चाग्नेयीप्रासादपुंगवात् ॥३४८॥ युग्मं ॥....
इसी ही वन में पूर्व दिशा के भवन से उत्तर और ईशान दिशा के प्रासाद से दक्षिण में एक शिखर कहा है । (३४७) तथा पूर्व दिशा के भवन से दक्षिण में और अग्नि कोण में आए. प्रासाद से उत्तर में दूसरा शिखर बताया है । (३४८)
पश्चिमायामथाग्नेयीप्रासादात् पूर्वतोऽपि च । . . दाक्षिणात्यात् भवनतः कूटोऽत्रास्ति तृतीयकः ॥३४६॥
अग्नि कोण में आए प्रासाद से पश्चिम की ओर दक्षिण दिशा के भवन से पूर्व में एक तीसरा शिखर है । (३४६)
दाक्षिणात्यभवनतोऽपरास्यां पूर्वतोऽपि च । प्रासादा नैऋतीनिष्टातुर्यः कूटो भवेदिह ॥३५०॥
दक्षिण दिशा के भवन से उत्तर में और नैऋत्य दिशा के प्रासाद से पूर्व में एक चौथा शिखर होता है । (३५०)
प्रासादानैर्ऋतीसंस्थादुदीच्यामथ याम्यतः । प्रतीचीनभवनतः कूटो भवति पंचमः ॥३५१॥
नैऋत्य दिशा के प्रासाद से उत्तर में और पश्चिम दिशा के भवन से दक्षिण में एक पांचवा शिखर है । (३५१)
प्रतीचीनभवनतः उदीच्यामथ याम्यतः । वायव्यकोणप्रासादात् षष्ठ कूटः निरूपितः ॥३५२॥
पश्चिम दिशा के भवन से उत्तर में और वायव्य कोने के प्रासाद से दक्षिण में एक छठा शिखर कहा है । (३५२)
वायव्य कोण प्रासादात् प्राच्या पश्चिमतोऽपि च । उदग्भवनतस्तत्र कूटो भवति सप्तमः ॥३५३॥