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(२६६) फेर फार केवल इतना ही है, कि जब पद्म सरोवर के आस-पास एक पद्म वेदिका और बगीचा है, तब इस सरोवर के आस-पास अन्दर करके फिर बाहर निकलते शीता नदी से विभक्त दो पद्म वेदिका और दो बन है । (२६०-२६१)
. याम्योत्तरायताश्चामी पूर्व पश्चिम विस्तृताः ।
सहस्त्र योजनायामाः शतानि पंच विस्तृताः ॥२६२॥
यह सरोवर एक हजार योजन उत्तर दक्षिण में लम्बा है, और पांच सौ योजन पूर्व पश्चिम में चौड़ा है । (२६२) . ..
तथाहुःसीयासी ओयाणं बहुमझे हुंति पंच हरयाओ। . उत्तर दहिण दीहा पुव्वावर वित्थडा इणमो ॥२६३॥
अन्यत्र भी कहा है कि - शीता और शीतोदा नदियों में बीचोंबीच पांच सरोवर हैं । वे उत्तर-दक्षिण में लम्बे और पूर्व पश्चिम में चौड़े हैं । (२६३)
पद्म हृदादयो ये तु परे 'वर्षधरा. हृदाः । ते स्युः पूर्वपरायामा दक्षिणोत्तर विस्तृताः ॥२६४॥
पद्म सरोवर आदि जो अन्य वर्ष धर पर्वत के ऊपर सरोवर है, वह तो उत्तर दक्षिण में चौड़े और पूर्व में लम्बे हैं । (२६४)
हृदाधिदेवतानां च पंचानाममृताशिनाम् । राजधान्योऽन्यत्र जम्बूद्वीपे मेरोरूदग्दिशि ॥२६५॥
इन पांच सरोवर के पांच अधिष्टायक देवों की राजधानियां हैं, वह दूसरे जम्बू द्वीप में मेरू पर्वत की उत्तर दिशा में रही है । (२६५)
एकैकस्य हृदस्यास्य पूर्व पश्चिमयोर्दिशोः । योजनानि दश दश मुक्त्वा तटभुविस्थिताः ॥२६६॥ शैलाः कांचननामानोमूले लग्नाः परस्परम् । एकैकतो दश दश क्षेत्रेऽस्मिन् निखिलाः शतम् ॥२६७॥ युग्मं ।
इन पांचो सरोवरों के पूर्व व पश्चिम दिशा के किनारे पर दस-दस योजन छोड़कर मूल में परस्पर संलग्न कांचन नामक पर्वत है । प्रत्येक सरोवर-के दोनों तरफ से दस-दस होने से वे सब मिलाकर इस क्षेत्र में एक सौ होते है । (२६६-२६७)