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________________ (xxxii). . मान १८१ क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय _ श्लोक सं० सं० सं० ६५ उसमें स्थित मणिपीठिका का १२१/ ८७ बृभषकूट पर्वत का मान-स्थान- १६३ वर्णन __ आकार ६६ उसमें स्थित सिंहासन का वर्णन १२३ / ८८ उसकी लम्बाई-चौड़ाई तथा १६५ ६७ उसके स्वामिओं की राजधानी के १२४ | | विष्कंभ विषय में ८६ मतान्तर से स्पष्ट विस्तार १६६ ६८ वैताढ्य की गुफाओं के नाम १२५६० वृभषकूट पर्वत के प्रासादों का १७६ ६६ उनका विवरण तथा ऊँचाई आदि १२६ / विवरण ६१ उसके अधिपति देव का आयुष्य, १७७ ७० उनके द्वारों का वर्णन समृद्धि के विषय में ७१ उनके अधिपति तथा उनकें १२८६२ इन पर्वतों का प्रयोजन १७८ आयुष्य .. ६३ इस क्षेत्र की कुल नदियों की १७६ ७२ उनके कपाट का मान १२६ संख्या ७३ उनके उद्घाटन का कारण एवं १३०६४ हिमवान पर्वत । कार्य ६५ हिमवान पर्वत का वर्णन ५४ उन कपाटों के खोलने का वर्णन १३१६६ उसके विष्कंभ का मान १८३ '७५ गुफा में चक्रवर्ती के प्रवेश का १३२/६७ उसके शर का मान १८४ |६८ उसकी जीवा का मान १८५ ७६ मंडल की योजना १३३/६९ उसके घनुपृष्ठ का मान १८६ ७७ मंडल के विषय में मतान्तर ' पाठ १०० उसके बाहा का मान १८७ .७८. उन्मन्जला नदी का स्थान-मान १३८/१०१ उसके प्रतर का मान आदि . १०२ उसके घन का मान १६० ७६ लदी का स्वभाव |१०३ उसके ११ कूटों का वर्णन तथा १६३ ८० निमग्नजला नदी का स्थान-मान १४३ नाम - आदि .. १०४ सब शिखरों की ऊँचाई आदि १६७ 5. निमग्नजला नदी का स्वभाव __१४५ । आकार ८२. नदी को पार करने के उपाय १४८/१०५ शिखरों के घेराव का मान १६६ ८३ दूसरी गुफा का वर्णन १५० १०६ प्रथम सिद्धायतन के सिद्ध मन्दिर २०१ ८४ नौ निधान का स्थान १५७ का विवरण ८५ उत्तरभरतार्द्ध की सीमा तथा स्थान १५८/१०७ उसके तीन द्वारों का वर्णन २०३ ६६ उनके विष्कंभ, बाहा, क्षेत्रफल १५६/१०८ सिद्ध मन्दिर की मणिपीठिका का २०४ आदि . .. मान . वर्णन १८८
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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