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क्र०
सं०.
विषय
(xxxi )
श्लोक
सं०
-१५ भरत क्षेत्र का 'घनुप्रष्ठ' और मान ३२ १६ भरत क्षेत्र का क्षेत्रफल
३३
१७ भरत क्षेत्र के दो भागों के विषय में
३६
३६
१८ उनके छः विभागों के विषय में १६ दक्षिणार्ध भरत का विष्कंभ तथा
३७
शर का मान
२० उसकी जीवा का मान
२१ उसके घनु पृष्ठ का मान
२२ उसका क्षेत्रफल
२३ अयोध्या नगरी का स्थान मान
२४ आर्य-अनार्य देशों की समझ २५ आर्य देशों में उत्पन्न होने वाले जीवों के बारे में
२६ वैताढ्य पर्वत का स्थान २७ उसका विस्तार
२८ उसके 'शर' तथा 'जीवा'
क्र०
२६ उनके घनु पृष्ठ ३० उसकी बाह्य
५४
३१ वैताढ्य की मेखला का वर्णन ३२ मेखला ऊपर की श्रेणियों का वर्णन ५६
५८
६६
३३ उसमें स्थित नगरों का विवरण ३४ उसमें मुख्य नामों के विषय में ३५ उसमें प्रथम खंड़ के प्रवर का नाम ३६ दूसरी श्रेणि के भोक्ता ३७ उनके आयुष्य तथा भवन आदि ६६ ३८ वैताढ़य के दूसरे खंड का वर्णन ७२ ३६ उसकी ऊँचाई - चौड़ाई तथा मान ७२ ४० उसका घन गणित मान
सं०
५६
६२
विषय
४४ वैताढ़य पर्वत के तीसरे खंड़ का वर्णन ४५ उसकी ऊँचाई-चौड़ाई - प्रतर तथा ७८ घन गणित मान
३८
का मान
३६ ४६ उनके विष्कंभ
८८
४०
८८
६३.
४४
५० व्यास जानने के करण ४२ ५१ प्रथम सिद्धायतन कूट का वर्णन ५२ उसमें स्थित सिद्ध मन्दिर का वर्णन ६४ ४५५३ उसके द्वारों का वर्णन ६५ ५४ उसमें स्थित मणिपीठिका का वर्णन ६६ ४६ ५५ उसमें स्थित देव छन्द की ऊँचाई ६७ आदि
४८
५६ उसमें स्थित प्रतिमा जी की संख्या ६८
५०
५२
तथा मान
५३ ५७ उंन प्रतिमाओं का वर्णन
४६ सम्पूर्ण वैताढ्य का घन मापद
४७ वैताढ्य के नौ कूटों की माप
८३
४८ शिखरों की ऊँचाई, लम्बाई, चौड़ाई ८६
श्लोक सं०
५८. भगवान की दाढ़ी-मूंछ सम्बंधी विस्तार से कथन्
५६ उन प्रतिमाओं के परिवार का वर्णन
६१
६२
६० उन प्रतिमाओं के परिवार की
पूजन सामग्री की वास्तविकता
वैताढ्य के तीसरे व सातवें शिखर ११६
का वर्णन
शेष छ: शिखर तथा उनके
स्वामियों की विगत
७३
४१ अभियोगी देवों की श्रेणि की ऊँचाई ७५ ६३ वे शिखर कैसे है ?
४२ उनकी विशेषता के बारे में
७६
४३ व्यन्तर देवों का क्रीड़ा स्थान
७७
ईर्ट
१०६
१११
११३
११७
११६
६४ उन शिखरों के ऊपर के महलों १२०
के विषय में