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________________ (२२६) समवायांगे तु । गंगा सिन्धुओ नईओ णं पवहे सातिरेगाइं चउ विसं कोसाइं वित्थरेणं पणते । इत्युक्तम् ॥ इस सम्बन्ध में जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र में यही अभिप्राय है, कि महानदी गंगा का प्रवाह छः योजन और एक कोस चौड़ा है, तथा गहराई आधा कोस है । परन्तु सम वायांग सूत्र में इस तरह कहा है कि - गंगा और सिन्धु नदी का प्रवाह चौबीस कोस से कुछ विशेष है। कंडोदगमादन व्यासो योजनं योजनं प्रति । पार्श्व द्वये समुदितो धनूषिं दस वर्द्धते ॥२५१॥ . . एवं च - वारिधे : संगमे सार्द्धा द्वाषष्टिः योजनान्यसौ। . मौलाद्दशनो यद्व यपासो नदीनामब्धि संगमे ॥२५२॥ कुण्ड में से निकलने के बाद इसकी चौड़ाई दोनों तरफ प्रत्येक योजन में दस-दस धनुष्य बढ़ती जाती है, और इस तरह समुद्र में प्रवेश के समय साढ़े बासठ योजन हो जाती है । अर्थात् नदी की चौड़ाई समुद्र के संगम समय मूल से दस गुना हो जाती है । (२५१-२५२). व्यासात् पंचाशत्तमोऽशः सर्वत्रोद्वेधईरितः । क्रोशस्यार्द्ध ततो मूले प्रान्त सक्रोशयोजनम् ॥२५३॥ सर्वत्र गहराई चौड़ाई से पचासवें भाग की होती है, इससे इसकी गहराई मूल में आधे कोस की और अन्त में एक योजन व एक कोस है । (२५३) वेदिका वन खण्डौ च प्रत्येक पार्श्वयोः द्वयोः । .. महानदीनां सर्वासां दृष्ट जगत्त्रयैः ॥२५४॥ प्रत्येक महानदी के दोनों तरफ पद्म वेदिका और बाग होता है इस प्रकार श्री जिनेश्वर भगवन्तों ने कहा है । (२५४) __. "तथोक्तंजम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे गंगा वर्णने।उभयो पासिंदो हिं पउमवर वेइयाहिं दोहिं वण खंडेहि संपरि ख्खित्ता वेइयावण खंड वणओ मणि यव्वो इति।" जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र में गंगा नदी का वर्णन किया है, वहां भी कहा है कि इसके दोनों तरफ में पद्म वेदिका और वनखंड- बगीचा आया है । उसी तरह यहां भी वर्णन जानना।
SR No.002272
Book TitleLokprakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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