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(२१६) तस्य मध्ये पद्ममेकं योजनायत विस्तृतम् । अर्द्ध योजन बाहल्यं तावदेवोच्छ्रितं जलात् ॥२१८॥
उस पद्म सरोवर में एक कमल है । वह एक योजन लम्बा-चौड़ा आधा योजन मोटा और उतना ही जल से ऊपर है । (२१८)
जले मग्नं योजनानि दशैतन्जगतीवृत्तम् ।। जम्बू द्वीप जगत्याभा सा गवाक्षालिराजिता ॥२१६॥
यह कमल दस योजन जल के अन्दर डूबा हुआ है, और इसके आस-पास एक जगती किला है, वह जम्बू द्वीप की जगती - किले के समान झरोंकों से युक्त होने से अत्यंत रमणीय लगता है । (२१६) .
किन्त्व सौ योजनान्यष्टादशोच्चा सर्व संख्यया । जलेऽवगाढा दश यद्योजनान्यष्ट चोपरि ॥२२०॥
यह जगती - किल्ला दस योजन जल में डूबा है और आठ योजन जल के ऊपर होने से कुल अठारह योजन उंचा है । (२२०)
यतु जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति मूल सूत्रे, जम्बूद्वीव जगइप्प माणा इत्युक्तं तज्जलाव गाह प्रमाणमविवक्षित्वा इति तवृत्तौ ॥
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति के मूल सूत्र में 'जम्बू द्वीप के किले समान' इस तरह जो कहा है, वह जल के अन्दर रहे विभाग से अलग बाहर रहे विभाग का माप समझना चाहिए । ऐसा इसका वृत्ति में स्पष्टीकरण किया है ।
किं च वज्रमूलं रिष्टकंदं वैदूर्यनालबन्धुरम् । वैदूर्यबाह्य पत्रं तज्जाम्बूनदान्तरच्छ दम् ॥२२१॥
इस कमल का मूल वज्रमय है, इसका कंद रिष्टरत्नमय है इसकी, नालिका वैदूर्य रत्न की, इसके बाहर के पत्र वैडुर्यरत्नमय और अभ्यन्तर सुवर्णमय है । (२२१)
अत्रायं विशेषोऽस्ति।बहत्क्षेत्र विचार वृत्यादौ बाह्यानि चत्वारि पत्राणि वैदूर्य मयानिशेषाणितु रक्त सुवर्णमयान्युक्तानि।किंचजम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रे जाम्बून दमीषद्रक्तस्वर्ण तन्मयान्यभ्यन्तर पत्राणि इत्युक्तम् । सिरिनिलयमितिक्षेत्रविचार वृत्तौ तु पीत स्वर्णमयान्युक्तानि इति ।