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सं०
| क्र० , विषय
श्लोक | क्र० विषय श्लोक सं० सं०
सं० १०० उनकी देविओं का आयुष्य २६२/१६ नारक पुदगलों की भयंकरता का ४२ १०१ आहार, श्वाच्छोवास-देहमान २६३/ वर्णन १०२ उनका आवास
२६६/१७ नारको की भयंकरता का वर्णन ४३ १०३. उनकी उत्पत्ति का कारण २६७/१८ नारकों के शरीर की भयंकरता का ४४ १०४ उनकी दूसरी कई गतियाँ
वर्णन १०५ उनकी लेश्या
३०२ १६ नारकों के वर्ण की भयंकरता का ४५ १०६ उनके अवधि ज्ञान क्षेत्र
वर्णन १०७ सर्ग समाप्ति
३१०/२० नारकों की भूमि की भयंकरता ४६ चौदहवां सर्ग | का वर्णन . . . १ प्रथम नरक के प्रमाण का वर्णन . १/२१ नारको की गंध की भयंकरता . ४७ २ उनके प्रतर की उँचाई
२] . का वर्णन ३ हर एक प्रतर का अन्तर ४२२ नारकों को स्पर्शता की भयंकरता ४८ ४ उन नरकों के नरकेन्द्रों के नाम ५ का वर्णन .. ५ प्रथम नरकेन्द्र की पक्तियाँ और १०२३ नारकों की शब्द की भयंकरता ४६ . आवास
| का वर्णन ६ २-१३ तक प्रतरों की पक्तियाँ और १३/ २४ तत्वार्थ प्रमाण से नारकों की ५० आवास
वेदना के नाम ७ कल आवलीगत आवासों की संख्या १६] २५ कंभियों के स्थान ८ पुष्पावर्कीण आवासों की संख्या २०
२०| २६ उनकी शीत वेदना की भयंकरता ५२ ६ कुल आवास और उनके आकार २१
का वर्णन १० नरकेन्द्रों के आकार की व्यवस्था २३|
१२।२७ उनकी उष्ण वेदना की भयंकरता ५६ कैसे ११ सर्व आवासों की ऊँचाई
| का वर्णन . १२ पीठिका के भाग की खड़ाई २६/२८
२८ उनकी प्यास की भयंकरता का ६० (ऊँचाई) आदि
| वर्णन .१३ दसरे नरक आवासों की लम्बाई- २८/२६ उनके दुःखों का वर्णन ६१ चौड़ाई
|३० उनकी पराधीनता-दाह-शोक- ६२ १४ स्थानांगी टीका के प्रमाण से नरक ३२ भय का वर्णन ' आवासों के नाम
|३१ मिथ्यात्वी नारकों को परस्पर की ६८ १५ नरक आवासों की भूमि की ४० गई वेदना भयंकरता का वर्णन
|३२ क्षेत्र प्रभावोत्पन्न वेदना ६८
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